पांच साल में 20 लाख नए बेरोजगार, अब भर्ती का इंतजार
बेसिक और राजकीय माध्यमिक विद्यालयों में पांच साल से नहीं हुई भर्ती प्रतियोगियों का दावा
प्राइमरी से उच्चतर शिक्षा तक 1.75 लाख पद खाली
प्रयागराज प्रदेश में हर साल डीएलएड की तकरीबन 2 लाख 41 हजार और बीएड की 2 लाख 40 हजार सीटों पर प्रवेश लिए जाते हैं। पांच साल में विभिन्न संस्थानों ने कम से कम 20 लाख बेरोजगारों को बीएड की डिग्री और डीएलएड के तहत डिप्लोमा दिए हैं, लेकिन जिन भर्तियों के लिए इन बेरोजगारों ने बीएड और डीएलएड की पढ़ाई की, वे पांच साल से अटकी हुई है।
प्राइमरी स्कूलों में सहायक अध्यापक भर्ती वर्ष 2018 में आई थी। इसके बाद से अभ्यर्थी नई भर्ती का इंतजार कर रहे हैं। वहीं, बीएड अभ्यर्थियों के लिए राजकीय माध्यमिक विद्यालयों में एलटी ग्रेड शिक्षक भर्ती का विज्ञापन भी पांच साल पहले 2018 में जारी किया गया था। इसके बाद एलटी ग्रेड शिक्षक भर्ती नहीं आई। शिक्षक भर्ती में शामिल होने वाले डिग्री और डिप्लोमा अभ्यर्थियों की भीड़ हर साल बढ़ती जा रही है।
वहीं, एक साल पहले माध्यमिक रहे हैं। शिक्षा सेवा चयन बोर्ड ने सहायक अध्यापक (टीजीटी) और प्रवक्ता (पीजीटी) के पदों पर भर्ती के लिए फॉर्म भरवाए थे।
13.9 लाख अभ्यर्थियों ने आवेदन किए, जिन्हें साल भर से परीक्षा तिथि घोषित होने का इंतजार है। ठीक यही स्थिति अशासकीय महाविद्यालयों में असिस्टेंट प्रोफेसर भर्ती की है। 1.14 लाख अभ्यर्थी असिस्टेंट प्रोफेसर के 1017 पदों पर भर्ती के लिए साल भर से परीक्षा तिथि घोषित होने का इंतजार कर प्रतियोगी छात्र संघर्ष समिति के मीडिया प्रभारी प्रशांत पांडेय का दावा है कि प्राथमिक, जूनियर, टीजीटी पीजीटी, एलटी ग्रेड, प्रवक्ता राजकीय इंटर कालेज, उच्चतर शिक्षा को मिलाकर शिक्षकों की तकरीबन 1.75 लाख सीटें रिक्त हैं।
प्राथमिक से लेकर उच्चतर शिक्षा तक शिक्षकों के सभी पदों पर भर्ती के लिए आठ माह से शिक्षा सेवा चयन आयोग के गठन की कवायद की जा रही है, लेकिन सरकार स्पष्ट नही कर पा रही है कि आयोग अस्तित्व कब आएगा। डिग्री, डिप्लोमा देकर भर रही सिर्फ संस्थानों की जेब प्रतियोगी छात्र संघर्ष समिति के मोडिया प्रभारी प्रशांत पांडेय का कहना है कि हर साल लाखों छात्र सरकारी एवं निजी संस्थानों से बीएडएड. और डीएलएड करते हैं। फीस के रूप में ये संस्थान करोड़ों रुपये कमाते हैं और लाखों रुपये खर्च करके पढ़ाई पूरी करने वाले छात्र भर्ती के इंतजार में बेरोजगार ही रह जाते है।
नहीं दे सकते नौकरी तो बंद करें कोर्स
प्रतियोगी छात्र संघर्ष समिति की ओर से सरकार से मांग की गई है कि अगर नौकरी नहीं दे सकते तो बीएड और डीएलएड का कोर्स भी बंद कर देना चाहिए। भर्ती में विलंब के कारण प्रदेश के 30 से 35 लाख बेरोजगार प्रतियोगी छात्र परेशान है। ऐसे में सरकार तुरंत भर्ती निकाले या नई भर्ती आने तक शिक्षक भर्ती के लिए संचालित पाठ्यक्रमों को ही बंद कर दे।