फिर फंस सकते हैं शिक्षकों के म्यूचुअल तबादले

फिर फंस सकते हैं शिक्षकों के म्यूचुअल तबादले
प्राइमरी के हेड और जूनियर के असिस्टेंट टीचर का अंतरजनपदीय म्यूचुअल तबादला हो सकता है, लेकिन अंतः जनपदीय में यह व्यवस्था नहीं
लखनऊ: प्राइमरी स्कूल के हेड टीचर और जूनियर हाईस्कूल के असिस्टेंट टीचर का आपस में अंतरजनपदीय (जिले के चाहर) म्यूचुअल तबादला हो सकेगा। वहीं अंतः जनपदीय (जिले के भीतर) तबादलों में ऐसा नहीं हो सकेगा। हाल में अंतःजनपदीय और अंतरजनपदीय तबादलों के लिए बेसिक शिक्षा परिषद ने जो आदेश जारी किए हैं, उनमें यह व्यवस्था दी गई है। दोनों तबादलों में अलग-अलग मानक तय किए जाने से शिक्षक हैरान हैं और वे सवाल उठा रहे हैं। उनका कहना है कि इस पेच से पूरी – तबादला प्रक्रिया फिर फंस सकती है।
प्रमोशन में भी कैडर – समान:
बेसिक शिक्षा परिषद की नियमावली के अनुसार प्राइमरी के हेड टीचर और जूनियर हाईस्कूल के असिस्टेंट – टीचर का कैडर एक ही होता है। यही वजह है कि जब प्राइमरी के असिस्टेंट टीचर का प्रमोशन होता तो उसके पास दो विकल्प होते है। वह जूनियर में असिस्टेंट टीचर भी बन सकता है और प्राइमरी का हेड टीचर भी बन सकता है। इस आधार पर अंतःजनपदीय म्युचुअल तबादलों में प्राइमरी के हेड और जूनियर में असिस्टेंट टीचर को आपस में जोड़े बनाने और तबादले का विकल्प मिलना चाहिए।
शासनादेश में जो व्यवस्था है, उसके अनुसार ही तबादले किए जा रहे हैं। अंतः जनपदीय तबादलों के लिए प्राइमरी के हेड और जूनियर हाईस्कूल के असिस्टेंट टीचर के आपस में तबादले की व्यवस्था शासनादेश में नहीं है।-सुरेंद्र तिवारी, सचिव, बेसिक शिक्षा परिषद
फंस सकती है प्रक्रिया
शिक्षकों के अंत जनपदीय तबादलों के लिए शासन ने 27 दिसंबर, 2024 को नीति जारी की थी। वहीं, अंतरजनपदीय तबादलों के लिए 6 जनवरी को नीति जारी की गई। उसके बाद अब मार्च में बेसिक शिक्षा परिषद ने टाइम टेबल और निर्देश जारी किए है। शिक्षकों का कहना है कि ऐसे ही अधिकारी तबादलों में विलंब करते हैं। उसके बाद इस तरह के पेच से फिर तबादले फंस जाते हैं। इस बारे में प्राथमिक शिक्षक संघ लखनऊ के अध्यक्ष निर्भय सिंह कहते हैं कि जब प्राइमरी के हेड और जूनियर के असिस्टेंट टीचर का कैडर हर जगह समान है तो अंत जनपदीय तबादलों में अलग कैसे हो सकता है। दोनों ही तरह के तबादलों में अलग मानक तय होने से मामला फंस सकता है। प्राथमिक शिक्षक प्रशिक्षित स्नातक असोसिएशन के अध्यक्ष विनय कुमार सिंह कहते हैं कि इस तरह की गलतियों की वजह से ही मजबूरी में शिक्षकों को कोर्ट कचहरी के चक्कर लगाने पड़ते हैं। उससे पूरी प्रक्रिया रुक जाती है। इसका खामियाजा सभी शिक्षकों को भुगतना पड़ता है। अभी इसमें कोई कोर्ट चला गया तो अगली गर्मियों की छुट्टियों में भी तबादले मुश्किल हैं।