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MDM conversion cost || बढ़ती महंगाई के दौर में कन्वर्जन कॉस्ट न बढ़ने से एमडीएम का संचालन मुश्किल


बढ़ती महंगाई के दौर में कन्वर्जन कॉस्ट न बढ़ने से एमडीएम का संचालन मुश्किल

उत्तर प्रदेश:-बढ़ती महंगाई के चलते हर सामान के दाम बढ़ गए हैं। खाद्य तेल, दाल, सब्जी, गैस सिलेंडर की रोफिलिंग आदि पर महंगाई का असर हुआ, लेकिन बेसिक स्कूलों में चलाए जा रहे मध्याहन भोजन योजना के कन्वर्जन कॉस्ट में दो सालों से वृद्धि नहीं हुई है। कन्वर्जन कॉस्ट अभी भी अप्रैल 2020 के रेट पर चल रही है। ऐसे में गुणवत्तापूर्ण भोजन उपलब्ध करा पाना प्रधानाध्यापकों के लिए चुनौती बना है।

सभी जिले में बेसिक स्कूल हैं। इसके अन्य भी स्कूल हैं, जहां पर माध्यहन भोजन योजना का संचालन होता है। इसके तहत बच्चों को निशुल्क भोजन की व्यवस्था है। इन स्कूलों में प्राथमिक स्तर पर 4.97 रुपये प्रति छात्र और उच्च प्राथमिक स्तर पर 7.45 रुपये प्रति छात्र की दर से कन्वर्जन कॉस्ट मिल रही है। वह कन्वर्जन फॉस्ट वर्ष 2020 में लागू हुई थी। तब से लगभग दो वर्ष का वक्त बीत चुका है, लेकिन कन्वर्जन कास्ट के रेट में एक पैसे की बढ़ोतरी नहीं हुई है। वर्तमान में खाद्य तेज, दाल, सब्जी, हरी सब्जी, फल व दूध आदि पर महंगाई की मार पड़ी है। गैस सिलेंडर रीफिलिंग के दाम लगोग दोगुने हो गए हैं। ऐसे में भोजन की गुणवत्ता क्या होगी, इसका अंदाजा लगाया जा सकता है। वर्ष 2020 में अरहर की दाल 80 रुपये के आसपास थी जो अब 130 रुपये से अधिक प्रति किलो हो गई है। सरसों का तेल दोगुने दाम पर मिल रहा है। 2020 में इसका रेट 100 रुपये के आसपास था जो अब लगभग 200 रुपये के आसपास है। कन्वर्जन कॉस्ट का रेट नहीं बढ़ने से प्रधानाध्यापकों को परेशानी झेलनी पड़ रही है। विभागीय अधिकारी व प्रशासन के अधिकारी विद्यालय में निरीक्षण के समय पहले एमडीएम की गुणवत्ता ही चेक करते हैं। गुणवत्ता खराब मिलने पर संबंधित प्रधानाध के खिलाफ कार्रवाई होती है। शिक्षकों ने कन्वर्जन कॉस्ट के दामों में बढ़ोतरी की मांग की है। प्रधानाध्यापक वेदप्रकाश गौतम का कहना है कि पहले हर वर्ष कन्वर्जन कॉस्ट बढ़ती रही है, लेकिन इस बार दो वर्ष बीत जाने के बाद भी कोई बढ़ोतरी नहीं की गई है।


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