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MDM // पढ़ाई के साथ-साथ स्कूली बच्चों की सेहत भी सुधरेगी, बनेगा हेल्थ कार्ड, पोषणयुक्त मोटे अनाज भी होंगे शामिल।


MDM // पढ़ाई के साथ-साथ स्कूली बच्चों की सेहत भी सुधरेगी, बनेगा हेल्थ कार्ड, पोषणयुक्त मोटे अनाज भी होंगे शामिल।

नई दिल्ली:- देश मे विद्यालयों में अध्ययनरत छात्र-छात्राओं की पढ़ाई के साथ-साथ उनकी सेहत में सुधार के दिशा निर्देश जारी किए गए हैं। इसके तहत प्रत्येक बच्चे का हेल्थ कार्ड बनेगा साथ ही मिड-डे-मील में पोषण युक्त मोटे अनाज शामिल किए जाएंगे। सभी राज्यों को विशेष अभियान चलाकर इससे जुड़ी पहलुओं को लागू करने के निर्देश दिए गए हैं।

पढ़ाई के साथ-साथ स्कूली बच्चों की सेहत में होगा सुधार:-

विद्यालयों में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा मुहैया कराने की मुहिम के साथ ही सरकार अब स्कूलों में पढ़ने वाले सभी नौनिहालों की सेहत का भी ख्याल रखेगी। फिलहाल इस दिशा में जो अहम कदम उठाए गए हैं उनके तहत स्कूलों में पढ़ने वाले सभी बच्चों के स्वास्थ्य की अब नियमित रूप से जांच होगी। इसके आधार पर ही सभी का हेल्थ कार्ड तैयार किया जाएगा। साथ ही साथ उन्हें पोषण युक्त बेहतर आहार भी दिया जाएगा। केंद्र सरकार ने इस को लेकर सभी राज्यों से स्कूली बच्चों के मिड-डे-मील के मेन्यू में बदलाव करने का भी सुझाव दिया है।

मिड-डे -मील में मोटे अनाजों को शामिल करने का सुझाव:-

शिक्षा मंत्रालय ने सभी राज्यों को मिड-डे -मील में स्थानीय स्तर पर मौजूद मोटे अनाज को भी प्रमुखता से शामिल करने का सुझाव दिया है। इन मोटे अनाजों की सूची में ज्वार, बाजरा, रागी, सावा, कुट्टू आदि शामिल किए गए हैं इसके साथ ही स्थानीय स्तर पर इस्तेमाल की जाने वाली दाल यह सब्जियों को भी शामिल करने को कहा गया है मंत्रालय का पूरा जोर है कि बच्चों को जो भी खाने को दिया जाए वह पूरी तरह से पोषण युक्त आहार हो।

सभी बच्चों का बनेगा हेल्थ कार्ड:-

बच्चों को हेल्थ कार्ड बनाने की सिफारिश शिक्षा मंत्रालय में स्कूली शिक्षा सचिव ने राज्यों को यह पत्र उस समय लिखा है जब राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 को तेजी से आगे बढ़ाने का कार्य चल रहा है। नीति में ही सभी स्कूली बच्चों का हेल्थ कार्ड बनाने की सिफारिश की गई है। यही वजह है कि केंद्र का इस बात पर जोर है कि राज इस पहल को तेजी से अपनाएं सूत्रों की माने तो नए शैक्षणिक सत्र से स्कूलों में हेल्थ कार्ड की व्यवस्था को लागू किया जा सकता है। गौरतलब है कि सरकार का यह जोर इसलिए भी है क्योंकि नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे की चौथी रिपोर्ट में बताया गया है कि देश में 5 वर्ष की उम्र के करीब 38 फ़ीसदी बच्चे कुपोषण के चलते बौनापन और करीब 59 फ़ीसदी बच्चे खून की कमी से पीड़ित हैं यही वजह है कि बच्चों के पोषण पर सरकार का पूरा फोकस है।


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