मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने शिक्षक दिवस पर प्रदेश भर से चयनित 94 शिक्षकों का किया सम्मान

प्रार्थनासभा को पाठ्यक्रम का हिस्सा बनाएं

लखनऊ,स्कूलों में सुबह की प्रार्थनासभा को पाठ्यक्रम का हिस्सा बनाएं। शिक्षक व्यक्तित्व व कार्य से भी आदर्श दिखें तभी समाज के मन में उनके प्रति श्रद्धा का भाव पैदा होगा। वर्तमान पीढ़ी को बनाने के लिए जितनी मेहनत हो सकती है करें। जो पीढ़ियां बनेंगी, वो जीवन भर आपको याद करेंगी। यदि हमारे शिक्षक नहीं होते तो आज हम यहां तक नहीं पहुंच पाते, आगे नहीं बढ़ पाते। स्कूलों को तंबाकू व प्लास्टिक रहित स्थान बनाएं

ये बातें मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने शिक्षक दिवस के अवसर पर राज्य शिक्षक पुरस्कार के लिए चयनित 94 शिक्षकों का सम्मान करते हुए कहीं। इस मौके पर मुख्यमंत्री ने 2.09 लाख टैबलेट वितरण कार्यक्रम का भी शुभारंभ किया। साथ ही प्रदेश में 18,381 स्मार्ट क्लास व 880 आईसीटी लैब का उद्घाटन भी किया। सीएम ने कहा, एक शिक्षक की भूमिका के बारे में डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन का स्पष्ट कहना था कि वह राष्ट्र निर्माता है। प्राचीन काल से ही भारत ने अपने शिक्षकों की इस । परंपरा को मान्यता दी है।।

प्राथमिक विद्यालय में भी हो स्मार्ट क्लास

सीएम योगी ने कहा कि 880 आईटीसी लैब्स के साथ ही 18381 उच्च प्राथमिक और कस्तूरबा गांधी विद्यालयों में स्मार्ट क्लास का भी शुभारंभ हो रहा है। स्मार्ट क्लास केवल उच्च प्राथमिक विद्यालय और कस्तूरबा गांधी विद्यालय तक सीमित न रहे, बल्कि प्रत्येक प्राथमिक विद्यालय में भी इसको उपलब्ध करवाने की दिशा में कार्य करें। पुरातन छात्रों से, गांव से जुड़े लोगों से, शिक्षा विभाग और प्रशासन से जुड़े अधिकारियों से या जनप्रतिनिधियों से कह देंगे तो स्मार्ट क्लास की स्थापना में कोई समस्या नहीं होगी। ये स्मार्ट क्लास उन विद्यालयों में शिक्षा ग्रहण करने आ रहे बच्चों की सोच को एक नई ऊंचाई और दिशा देगी। चित्रकूट में इस बात को स्वयं महसूस किया। एक तीसरी क्लास की बच्ची से पूछा तो उसने संचालित कर दिखा दिया।

पुराने स्कूलों का कायाकल्प होगा

सीएम ने कहा कि ऐसे ही माध्यमिक शिक्षा से जुड़े विद्यालयों को भी इस तरह के कार्यक्रमों से जोड़ने की आवश्यकता है। प्रोजेक्ट अलंकार के तहत जितने भी पुराने विद्यालय हैं, उनका कायाकल्प करना होगा। मौन खड़े रह कर अपने संसाधनों से उन्होंने भारत की पूर्व पीढ़ी और वर्तमान पीढ़ी को बनाने में योगदान दिया है। ये संसाधन नहीं होते तो कैसे देश आजादी की लड़ाई लड़ता, कैसे देश उस पीढ़ी को पढ़ा पाता। वो पीढ़ी भी इसको भूल गई और बचा खुचा ट्रेड यूनियन ने उसको नष्ट कर दिया। लखनऊ में ही एक दिन एक विद्यालय गया। विद्यालय भवन उतना बड़ा नहीं था, जितने बड़े उसमें पेड़ उगे हुए थे। ये बड़ी विचित्र स्थिति है। विद्यालय में जाले न दिखाई दें, कहीं धूल न हो, प्लास्टिक का उपयोग न हो, कोई गुटका, तंबाकू स्कूल में सेवन न कर सके, इस प्रकार की भावना आनी चाहिए।


Leave a Reply