लखनऊ: जेईई एडवांस में सफलता यानी आईआईटी में दाखिले की गारंटी। काफी हद तक सही भी है लेकिन उन अभ्यर्थियों के लिए भ्रम की स्थिति होती है जो सफल तो हो गए लेकिन रैंक ज्यादा है। उन्हें आईआईटी तो मिल रहा है लेकिन मनचाही ब्रांच नहीं। अब एक तरफ उन्हें आईआईटी का मोह है तो दूसरी ओर मनचाही ब्रांच न मिलने का अफसोस। ऐसे छात्रों के लिए विशेषज्ञों की राय यह है कि संस्थान का मोह न करके अपने पैशन को तरजीह दें।एकेटीयू के कुलपति और कई वर्षों तक आईईटी प्लेसमेंट एंड ट्रेनिंग सेल के समन्वयक रहे प्रो. विनीत कंसल बताते हैं कि कई बार यह देखा गया है कि ज्यादा रैंक वाले बच्चों को आईआईटी तो मिल रहा है लेकिन जो ब्रांच मिल रही है, उसमें उनका पैशन नहीं है। बच्चे संस्थान के मोह में दाखिला ले लेते हैं फिर चार साल तक घुटते रहते हैं और बीटेक के बाद अन्य विकल्प देखने लगते हैं। ऐसे बच्चों को सलाह है कि कॉलेज का मोह न करें बल्कि अपने लिए ब्रांच का बेस्ट विकल्प देखें।

आईआईएसईआर(IISER) भी है बेहतर विकल्प

जेईई विशेषज्ञ संजीव पांडेय बताते हैं कि ज्यादा रैंक वाले बच्चों के लिए सलाह है कि या तो वे नए आईआईटी की जगह पुराने व स्थापित एनआईटी देखें या फिर उनके लिए आईआईएसईआर या आइसर (इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस एजुकेशन एंड रिसर्च) बेहतर विकल्प है। आइसर के देश भर में सात संस्थान हैं। जेईई एडवांस से दाखिले होते हैं और सबसे अच्छी बात यह है कि छात्रों को पढ़ाई के लिए 100 प्रतिशत फेलोशिप भी मिलती है।


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