अपर शिक्षा निदेशक (बेसिक) ने कहा-जो अधिकारी हैं वही तो जांच करेंगे
लखनऊ:- बेसिक व माध्यमिक शिक्षा के बाबुओं के तबादलों में हुई गड़बड़ी की जांच के लिए बनी कमेटी खुद सवालों के घेरे में है। कारण, तीन सदस्यीय इस कमेटी में ऐसे लोग है जो खुद पहले तबादला सूची तैयार कराने में शामिल थे। सवाल उठ रहा है कि जिस टीम ने तबादलों में गड़बड़ी की, उसी के सदस्य को कमेटी में क्यों शामिल किया गया? जांच कमेटी का गठन अपर शिक्षा निदेशक (बेसिक) प्रयागराज ने किया है।
यहीं से प्रदेश भर के बेसिक व माध्यमिक के करीब एक हजार बाबुओं का संयुक्त तबादला किया गया था। अब गड़बड़ियां सुधारने के लिए जो कमेटी बनी है, उसमें राजेंद्र प्रताप, उप शिक्षा निदेशक (अर्थ), दिनेश सिंह, उप शिक्षा निदेशक (विज्ञान) और नंदलाल सिंह, सहायक शिक्षा निदेशक (सेवा-2) शामिल हैं।यूपी एजूकेशनल मिनिस्ट्रीयल ऑफिसर्स एसोसिएशन का आरोप है कि राजेंद्र प्रताप व नंदलाल गड़बड़ निकली तबादला सूची तैयार कराने में शामिल थे। ऐसे में उनसे सुधार की उम्मीद कैसे की जा सकती है? एसोसिएशन के महामंत्री राजेश श्रीवास्तव का आरोप है कि इसी के चलते जांच धीमी चल रही है। उन्होंने दोनों को तत्काल कमेटी से हटाने की मांग की है।
जो अधिकारी हैं वही तो जांच करेंगे
अपर शिक्षा निदेशक (बेसिक) प्रयागराज अनिल भूषण चतुर्वेदी ने इन आरोपों को बेबुनियाद बताया। कहा कि जब हमारे यहां तीन ही अधिकारी हैं तो वही तो हर काम देखेंगे। इनमें भी एक नए हैं। कहा कि उन्होंने तबादले होने के बाद कार्यभार संभाला है और खुद निगरानी कर रहे हैं। ऐसे में गड़बड़ी का प्रश्न ही नहीं उठता।अंतिम परीक्षण वह खुद करेंगे। त्रुटियां बहुत ज्यादा नहीं, उन्हें दो-तीन दिन में दुरुस्त कर लिया जाएगा। यही नहीं उनका आरोप है कि गड़बड़ियों को लेकर जो हल्ला मचा है, उनके बारे में उन्होंने पहले सूचनाएं मांगी थीं। उस समय मंडल व जिलों से बाबुओं ने ही सही सूचनाएं नहीं दी। अब संशोधन में देरी का आरोप लगाया जा रहा है। शासन की नीति के अनुसार प्रत्येक मामले की जांच हो रही है। जल्द ही परिणाम सामने होगा।