NDEA US organization Research // ऑनलाइन शिक्षा में छात्र-छात्राओं को गणित में कर दिया कमजोर, परीक्षा में छात्रों को 10 से 15 फ़ीसदी अंक कम मिले

गणित शिक्षकों ने भी माना कि ऑनलाइन शिक्षा में 50 फ़ीसदी छात्रों को सबक समझ नहीं आए

लखनऊ:- महामारी और लॉकडाउन में ऑनलाइन शिक्षा का विकल्प सामने आया ऑनलाइन शिक्षा के जितने फायदे हुए उतने ही नुकसान भी देखने को मिले हैं। पढ़ाई में कुछ विषय ऐसे होते हैं जिनमें शिक्षक का बच्चों के सामने होना अति आवश्यक होता है। गणित भी एक ऐसा ही विषय है। कई सवाल ऐसे हैं जो ऑनलाइन नहीं समझाय जा सकते एक बार बताने के बाद ऑनलाइन छात्र कितना समझ पाए शिक्षक को इसका पता नहीं चल पाता है। इसी का नतीजा हुआ है कि गणित विषय में कक्षा 3 से 12 तक के बच्चे कमजोर हो गए हैं। सर्वोच्च अंक प्राप्त करने वाले छात्र भी अंकों की तुलना में 10 से 15 फ़ीसदी पीछे रह गए।

एनडीईए एक अमेरिकी संस्था है। जो शिक्षा के क्षेत्र में शोध करती है। इस संस्था कि रिसर्च में बताया है कि बच्चे गणित में 4 गुना कमजोर हो गए हैं। जिसकी तस्दीक शिक्षकों के साथ अभिभावकों ने भी की

टर्म परीक्षा में पीछे हुए छात्र

ऑनलाइन कक्षाओं के बाद ऑफलाइन परीक्षाओं में बच्चों के अंक पहले की तुलना में कम आए हैं। यह दशा सरकारी और प्राइवेट के साथ ही यूपी बोर्ड सीबीएसई और सीआईएससी तीनों बोर्डों में है। राजकीय स्कूल के गणित के प्रवक्ता ने कहा कि अब तो सुधार दिख रहा है। लेकिन ऑनलाइन कक्षाओं के फौरन बाद हुई परीक्षाओं में गणित के अंकों में 5 से 10 फीसद की कमी देखने को मिली है। इसी प्रकार प्राइवेट स्कूल की गणित शिक्षिका ने भी इसी बात पर मुहर लगाई कि जो बच्चे बड़ी सरलता से गणित में 80 से 90 फ़ीसदी अंक ले आते थे अब वह कर्म परीक्षाओं में 65 से 75 फ़ीसदी पर रुक गए हैं।

छात्र क्यों हुए कमजोर?

गणित के शिक्षकों की माने तो गणित जैसे विषय में सारे कंसेप्ट ऑनलाइन समझा पाना बहुत मुश्किल होता है। गणित की ऑनलाइन कक्षाओं के दौरान 50 फ़ीसदी छात्रों को ही कंसेप्ट समझ में आए। जो बच्चे बोलने और पूछने में हिचकाते नहीं थे वह अपने सवाल पूछ लेते थे। लेकिन कम बोलने वाले बच्चे अपनी बात नहीं रखते थे इसके साथ ही शिक्षक के साथ छात्र-छात्राओं का आई कांटेक्ट ज्यादा नहीं रहता। जब कि ऑफलाइन कक्षाओं में बच्चों के भाव देखकर भी समझ आ जाता है कि बच्चे को समझ में आया है या नहीं।

गणित शिक्षकों का कहना है कि

“ऑनलाइन कक्षाओं और ऑफलाइन कक्षाओं में गणित पढ़ने और पढ़ाने दोनों पर असर पड़ा है बच्चों की क्षमता में कमी आई है फॉर्मूला समझने में बच्चों को परेशानी हुई है। यही वजह है कि हमको में कमी हुई है।”- अजय मिश्रा राजकीय जुबली इंटर कॉलेज

“यह निश्चित रूप से गणित पर ऑनलाइन शिक्षा का नकारात्मक प्रभाव पड़ा है जो बहुत अच्छे थे उनका परिणाम का ग्राफ गिरा है जो कमजोर थे वह और कमजोर हो गए हैं कर्म परीक्षाओं के दौरान गणित विषय में मिले अंत भी इस बात की तस्दीक करते हैं।”- अंकित श्रीवास्तव सेंट जोसेफ स्कूल।

“ऑफलाइन क्लास के दौरान जब गणित में छात्र को कुछ समझ नहीं आता है। तो उसकी शारिरिक भाषा से पता चल जाता है लेकिन ऑनलाइन कक्षाओं में सभी बच्चों को एक स्क्रीन पर देख पाना मुश्किल होता है। ऑनलाइन कक्षाओं में बार-बार बच्चे की एकाग्रता भी टूटती है।” नीरज द्विवेदी ब्राइटलैंड इंटर कॉलेज


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