प्रयागराज:- यूपी के परिषदीय उच्च प्राथमिक विद्यालयों में कार्यरत अनुदेशकों को 17 हजार मानदेय दिए जाने को लेकर हाईकोर्ट की सिंगल बेंच के फैसले को राज्य सरकार ने विशेष अपील में चुनौती दी है । सरकार की विशेष अपील पर सोमवार को हाईकोर्ट में चीफ जस्टिस की डिवीजन बेंच में सुनवाई हुई । मामले में केंद्र सरकार और राज्य सरकार की ओर से बहस पूरी हो गई है जबकि याची अनुदेशकों की ओर से अधिवक्ता दुर्गा तिवारी और सुप्रीम कोर्ट से आये अधिवक्ता एपी सिंह ने पक्ष रखा । इलाहाबाद हाईकोर्ट में अनुदेशकों की ओर से बहस पूरी नहीं हो सकी है । हाईकोर्ट ने मामले की सुनवाई जारी रखते हुए मंगलवार 17 मई को फिर से सुनवाई करने का आदेश दिया है । याचियों की ओर से पेश हुए अधिवक्ताओं ने कोर्ट में दलील पेश की कि अनुदेशकों को 17 हजार मानदेय दिया जाना चाहिए । केंद्र सरकार ने भी 2017 में 17000 मानदेय देने का आदेश दिया था ।
यूपी सरकार ने इस आदेश का पालन नहीं किया । गौरतलब है कि प्रदेश के लगभग 27 हजार अनुदेशकों का मानदेय 2017 में केंद्र सरकार ने बढ़ाकर 17,000 रुपये कर दिया था जिसको यूपी सरकार ने लागू नहीं किया है । मानदेय बढ़ाने की मांग को लेकर अनुदेशकों ने हाईकोर्ट में रिट दाखिल की थी जिस पर सुनवाई करते हुए 3 जुलाई 2019 को जस्टिस राजेश चौहान की सिंगल बेंच ने अनुदेशकों को 2017 से 17,000 मानदेय 9 फीसदी व्याज के साथ देने का आदेश दिया था । इस फैसले के खिलाफ राज्य सरकार ने विशेष अपील दाखिल की है । याची • विवेक सिंह और आशुतोष शुक्ला की ओर से याचिका दाखिल की थी । जिस पर सिंगल बेंच के फैसले के खिलाफ राज्य सरकार ने विशेष अपील दायर की है । राज्य सरकार की अपील पर इलाहाबाद हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस राजेश बिंदल और जस्टिस जेजे मुनीर की डिवीजन बेंच में सुनवाई हुई ।