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हाईकोर्ट: आपराधिक केस होना प्रमोशन में बाधा नहीं


हाईकोर्ट: आपराधिक केस होना प्रमोशन में बाधा नहीं

प्रयागराज:- इलाहाबाद हाईकोर्टने एक महत्वपूर्ण निर्णय में कहा है कि किसी कर्मचारी की प्रोन्नति पर निर्णय हो जाने के बाद यदि उसके विरुद्ध विभागीय अथवा आपराधिक कार्रवाई शुरू की जाती है तो उस स्थिति में उसका प्रोन्नति आदेश प्रभावित नहीं होगा। कोर्ट ने कहा कि प्रोन्नति पर निर्णय लिए जाने के बाद इस आधार पर कर्मचारी का केस सील बंद लिफाफे में नहीं रखा जा सकता है कि उसके विरुद्ध विभागीय अथवा आपराधिक कार्रवाई बाद में शुरू हो गई थी। नोएडा में तैनात तहसीलदार रनबीर सिंह की याचिका पर सुनवाई करते हुए या आदेश न्यायमूर्ति जसप्रीत सिंह ने दिया है।

याची का पक्ष रख रहे वरिष्ठ अधिवक्ता अनूप त्रिवेदी का कहना था कि याची 1996 में नायब तहसीलदार के पद पर नियुक्त हुआ। सर्विस रिकॉर्ड अच्छा होने के कारण 2013 में उसे तहसीलदार के पद पर प्रोन्नति दी गई। 2018 में डिप्टी कलेक्टर के पद पर प्रोन्नति के लिए प्रोन्नत कमेटी का गठन हुआ जिसमें याची के नाम पर भी विचार हुआ। प्रोमोशन सूची में याची का नाम शामिल किया गया। मगर जब परिणाम जारी हुआ तो उसका नाम सूची में नहीं था। जानकारी करने पर मालूम चला कि विभागीय कार्रवाई के तहत याची को निलंबित किए जाने के कारण उसकी प्रोन्नति का मामला सीलबंद लिफाफे में रखा गया है।

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