दिव्यांग छात्र को दाखिला न देने पर 10 लाख क्षतिपूर्ति दे सरकार: हाईकोर्ट

लखनऊ: हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने एक दिव्यांग छात्र को सीट आवंटित होने के बावजूद दाखिला न दिए जाने के मामले में सख्त रुख अपनाया है। कोर्ट ने राज्य सरकार को छात्र को दस लाख रुपये बतौर क्षतिपूर्ति देने के आदेश दिए हैं।

इसके साथ न्यायालय ने आदेश दिया है कि यह धनराशि सरकार जिम्मेदार अधिकारियों से वसूल सकती है। कोर्ट ने क्षतिपूर्ति के लिए दो माह समय दिया है, साथ ही चेतावनी दी है कि दो माह में रकम नहीं दी जाती तो प्रतिवर्ष नौ प्रतिशत सालाना ब्याज समेत रकम चुकानी होगी। कोर्ट ने छात्र की सिक्योरिटी राशि भी नौ प्रतिशत सालाना ब्याज के साथ लौटाने का आदेश दिया है। न्यायमूर्ति पंकज भाटिया की एकल पीठ ने छात्र सत्यम वर्मा की याचिका पर यह आदेश पारित किया। याची का कहना था कि प्री-आयुष टेस्ट 2016 में उसकी कैटेगरी रैंक 5336 थी। मेडिकल बोर्ड ने उसे 50 से 70 प्रतिशत तक विकलांग पाया था। इसके बाद 15 नवम्बर 2016 को द्वितीय काउंसलिंग में उसे एक सरकारी कॉलेज साहू रामनारायण मुरली मनोहर आयुर्वेदिक कॉलेज, बरेली में सीट मिली। याची दाखिला लेने पहुंचा तो बताया गया कि वहां सभी सीटें भर चुकी हैं। याचिका पर जवाब देकर कॉलेज की ओर से कहा गया कि तत्कालीन निदेशक आयुर्वेद की ओर से काउंसलिंग बोर्ड को बताया गया था कि याची ने प्रवेश से मना कर दिया था। याचिका का राज्य सरकार और महानिदेशक, चिकित्सा शिक्षा की ओर से विरोध किया गया। कोर्ट आदेश में कहा कि याची के लिए रिक्त रखी सीट दूसरे को आवंटित कर गलत किया गया। चिकित्सा शिक्षा और इस कॉलेज राज्य सरकार के अंग हैं, लिहाजा उनके द्वारा की गए गलत की जिम्मेदारी भी राज्य सरकार की ही है।

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