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हाईकोर्ट का अहम निर्णय: मृतक आश्रित सेवा नियमावली की भाषा को संशोधन करने पर विचार करे सरकार


हाईकोर्ट का अहम निर्णय: मृतक आश्रित सेवा नियमावली की भाषा को संशोधन करने पर विचार करे सरकार

प्रयागराज:- इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा है कि सरकार मृतक आश्रित सेवा नियमावली की भाषा को संशोधन करने पर विचार करे। साथ ही कोर्ट ने कनिष्ठ लिपिक पद पर मृतक आश्रित कोटे में नियुक्त याची के दो बार टाइप टेस्ट में फेल होने के कारण सेवा समाप्ति को सही नहीं माना। उसने आदेश दिया कि चतुर्थ श्रेणी पद पर चार माह में विचार कर नियुक्ति की जाए।

खंडपीठ ने एकलपीठ के याचिका खारिज करने के आदेश को रद्द कर दिया है। उसने कहा कि नियमावली में आश्रित कोटे में लिपिक पद पर नियुक्त व्यक्ति के टाइप टेस्ट में फेल होने पर नीचे के पद पर वापस करने का नियम नहीं है। इसलिए याची को चतुर्थ श्रेणी पद पर नए सिरे से नियुक्ति पर विचार किया जाए।नियमावली का उद्देश्य मृतक आश्रित परिवार को सरकारी सेवक मुखिया की मौत से अचानक आए आर्थिक संकट से उबारना है। लिपिक पद पर टेस्ट में फेल होने से सेवा समाप्ति से परिवार फिर आर्थिक संकट में फंस जाएगा। जिससे आश्रित कोटे में नियुक्ति की नियमावली अपना उद्देश्य पूरा नहीं कर सकेंगी।


चतुर्थ श्रेणी पद पर नियुक्ति देने पर विचार किया जाए यह आदेश मुख्य न्यायाधीश राजेश बिंदल और न्यायमूर्ति जेजे मुनीर की खंडपीठ ने विमल कुमार की विशेष अपील को स्वीकार करते हुए दिया है। अपील पर राज्य सरकार के अधिवक्ता राजीव सिंह ने पक्ष रखा। मालूम हो कि याची के पिता की सरकारी नौकरी में सेवारत रहते हुए मौत हो गई। याची को तृतीय श्रेणी पद की नियुक्ति योग्यता रखने के कारण कनिष्ठ लिपिक पद पर नियुक्ति दी गई। शर्त यह थी कि उसे टाइप टेस्ट पास करना होगा। दो मौका मिलेगा। दो साल में टेस्ट पास नहीं हुआए तो सेवा समाप्त कर दी जाएगी।याची दो मौका मिलने के बावजूद टेस्ट पास नहीं कर सका। उसे हटा दिया गया। उसने कहा कि उसे चपरासी नियुक्त कर लिया जाए किन्तु सुनवाई नहीं हुई। हाईकोर्ट में याचिका दायर की। एकलपीठ ने याचिका खारिज कर दी। जिसे अपील में चुनौती दी गई थी। कोर्ट ने कहा कि याची को चतुर्थ श्रेणी पद पर नियुक्ति देने पर विचार किया जाए।


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