नौकरी छोड़ गरीब बच्चों को पढ़ाने में लगी रत्ना झोपड़पट्टी बस्ती में रहने वाले बच्चों की शिक्षा के स्तर को ही बदल दिया तेलीबाग कुम्हार मंडी बस्ती में रहने वाले बच्चों की शिक्षा का स्तर बदला आज बस्ती के बच्चे अंग्रेजी में बोलते हैं और प्रोजेक्ट रिपोर्ट तैयार करते है।

लखनऊ: शिक्षा का मूल सबसे ज्यादा एक शिक्षक ही समझ सकता है क्योंकि शिक्षा है एक अनमोल रतन। गरीब बच्चों की शिक्षा के गिरते स्तर को उठाने के लिए एक शिक्षिका ने अपनी नौकरी तक छोड़ दी और इन गरीब बच्चों की फुल टाइम शिक्षिका बन गई 10 महीने के भीतर झोपड़पट्टी में रहने वाले बच्चों में ना सिर्फ आत्मविश्वास सका बल्कि शिक्षा के स्तर में ऐसा बदलाव आया कि जैसे वह किसी अच्छे प्राइवेट स्कूल के छात्र हैं तेलीबाग की कुम्हार मंडी में रहने वाले इन बच्चों के अभिभावकों में कोई ठेला चलाता है तो किसी की मां घर में साफ सफाई का काम करती है कहने को तो यह बच्चे सरकारी कन्या पाठशाला में पढ़ते हैं लेकिन महामारी में जब स्कूल बंद रहा तो पढ़ाई ठप हो गई इसी क्षेत्र में रहने वाली शिक्षिका रत्ना हाजरा ने इन बच्चों की शिक्षा की जिम्मेदारी उठाई।

महामारी की पहली लहर के बाद शुरू की मुहिम

शिक्षिका रत्ना हाजरा बीएड हैं और शहर के नामी प्राइवेट स्कूल में शिक्षिका थी उस दौरान उनके घर पर कुम्हार मंडी के चार बच्चे पढ़ने आते थे जिन्हें वह निशुल्क पढ़ाती थी महामारी की वजह से स्कूल बंद हो चुके थे। 4 बच्चों ने बताया कि बस्ती के अन्य बच्चे भी स्कूल जाते थे जो अब सिर्फ खेलते हैं इन बच्चों की पढ़ाई का स्तर देखने के बाद शिक्षिका ने इनकी शिक्षा को सुधारने का प्रण लिया रत्ना ने बच्चों को एकत्रित किया और पढ़ाना शुरू कर दिया इस काम को ढंग से कर सके इसके लिए रत्ना ने नौकरी भी छोड़ दी उन्होंने स्मार्ट एजुकेट मुहिम शुरू की इसके तहत बच्चों को डांस और गाने के साथ पढ़ाया जाता है। जिससे बच्चों का मन भी लगता है और समझने में भी आसानी होती है बस्ती में रहने वाले सूरज निषाद, सोनाली, अरुण निषाद, गुलशन कुमार, खुशबू व अन्य कक्षा 3 से 5 के छात्र हैं यह छात्र जब शिक्षिका रत्ना हाजरा की स्मार्ट एजुकेट मुहिम से जुड़े तो इनका नजरिया ही बदल गया पहले जहां इनके लिए एबीसीडी तैयार करना मुश्किल था वहीं आज यह बच्चे आसानी से फराटे दार अंग्रेजी में बात कर सकते है।

अच्छी शिक्षा प्रत्येक बच्चे का अधिकार शिक्षिका

रत्ना हाजरा को 22 वर्ष शिक्षण कार्य का अनुभव है रत्ना ने कहा कि अच्छी शिक्षा प्रत्येक बच्चे का अधिकार है। प्राइवेट स्कूल में पढ़ने वाले बच्चे को अच्छी शिक्षा मिल सकती है। तो इन बस्ती में रहने वाले बच्चों को क्यों नहीं इसी सोच के साथ नौकरी छोड़ क्योंकि नौकरी छोड़े बिना बच्चों का पूरा ध्यान नहीं दिया जा सकता था यह बच्चे अब सरकारी स्कूल जाते हैं लेकिन उससे पहले इस्मार्ट एजुकेट की क्लास करते हैं। अभी 30 बच्चों को निशुल्क शिक्षा दी जा रही है कुछ समाजसेवी समय-समय पर शिक्षा के लिए जरूरी सामान उपलब्ध उपलब्ध करा मदद करते हैं।


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