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यूपी में प्रिंसिपल से बीएसए बनने के लिए अब करना होगा ये काम, शासन ने बनाई कमेटी 15 दिन में आएगी रिपोर्ट


यूपी में प्रिंसिपल से बीएसए बनने के लिए अब करना होगा ये काम, शासन ने बनाई कमेटी 15 दिन में आएगी रिपोर्ट

लखनऊ: यूपी में अब किसी प्रिंसिपल या वरिष्ठ प्रवक्ता को सीधे बेसिक शिक्षा अधिकारी के पद पर तैनाती नहीं मिल सकेगी। बीएसए के पद पर तैनाती से पहले सह जिला विद्यालय निरीक्षक, प्रधानाचार्य या वरिष्ठ प्रवक्ता के पद पर न्यूनतम तैनाती की अनिवार्यता के सम्बन्ध में शासन ने कार्ययोजना बनाने के निर्देश दिए हैं। बेसिक शिक्षा विभाग के प्रमुख सचिव दीपक कुमार ने महानिदेशक स्कूल शिक्षा विजय किरन आनंद की अध्यक्षता में पांच सदस्यीय कमेटी का गठन किया है। यह कमेटी 15 दिनों में रिपोर्ट देगी। कमेटी बीएसए के पद पर तैनाती से पहले आधारभूत प्रशिक्षण देने और फील्ड स्तरीय अनुभव विकसित किए जाने के लिए सलाह देगी।

यह कमेटी बेसिक शिक्षा अधिकारी के पदों पर तैनाती से पूर्व समूह ख के अन्य विभिन्न पदों (वरिष्ठ प्रवक्ता, डावट / प्रधानाचार्य सह जिला विद्यालय निरीक्षक / उप सचिव माध्यमिक शिक्षा परिषद एवं अन्य समकक्षीय पद) पर न्यूनतम तैनाती की अनिवार्यता के सम्बन्ध में कार्ययोजना तैयार कर अपनी सिफारिशे शासन को 15 दिनों में सौंपेगी। कमेटी समूह ख के सभी अधिकारियों को विभागीय नियमों, वित्तीय नियमों, आडिट नियमों, विधिक, शैक्षिक प्रबंधन इत्यादि का आधारभूत प्रशिक्षण दिए जाने पर भी सुझाव देगी। इस कमेटी में महानिदेशक के अलावा पूर्व निदेशक डीबी शर्मा, संयुक्त शिक्षा निदेशक भगवती सिंह, गणेश कुमार और उप निदेशक पीसी यादव को सदस्य के रूप में शामिल किया गया है। गठित समिति आवश्यतानुसार अपने स्तर से शैक्षिक सेवा के सेवानिवृत्त वरिष्ठ अधिकारियों, शैक्षिक विशेषज्ञों से अभिमत प्राप्त कर सकेगी। समूह ख के 1449 पद हैं जिनमें बीएसए, एडीआईओएस, प्रधानाचार्य राजकीय इण्टर कालेज (बालक/बालिका) एवं वरिष्ठ प्रवक्ता (डायट) के पद हैं। इन अधिकारियों में से जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी पद पर तैनाती की जाती है।

अनुभवहीनता से बढ़ रहे कोर्ट केस:

बीएसए के पद पर प्रायः अनुभवहीन अधिकारियों की तैनाती हो जाने के कारण उच्च न्यायालय में बड़े पैमाने पर मुकदमेबाजी हो रही है। इस कारण शासन का अधिकाशः समय इसी में बीतता है। वहीं इनके खिलाफ बड़े पैमाने पर अनुशासनिक कार्रवाई होने और अनुशासनिक कार्रवाई खत्म होने के बाद दण्डात्मक कार्रवाई होने के कारण जिला विद्यालय निरीक्षक / समकक्ष पद पर पदोन्नति न होने पाने से अधिकाशः पद रिक्त ही रहते हैं जिससे बेसिक के साथ माध्यमिक शिक्षा विभाग का काम भी प्रभावित होता है। जिला विद्यालय निरीक्षक एवं समकक्ष 198 पदों के सापेक्ष 30 जून 2023 तक लगभग 50 प्रतिशत से अधिक पद रिक्त होना प्रत्याशित है।

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