तीन महीने बीते फिर भी नहीं मिलीं किताबें, ब्लैक बोर्ड ताक रहे बच्चे
मुरादाबाद:-प्राथमिक विद्यालयों को खुले तीन महीने का समय बीत रहा है। अब तक बच्चों के पास किताबें, बैग, यूनिफार्म नहीं है। शिक्षण सत्र विगत 1 अप्रेल से शुरू हुआ था। 30 मई तक विद्यालय खुले। इसके बाद 15 जून तक ग्रीष्मकालीन अवकाश हो गया था। विगत 16 जून से विद्यालय दोबारा खुल गए थे। इस तरह तीन महीने से अधिक का समय बीतने के बाद भी बच्चों के पास किताबें नहीं हैं। हमारे होनहार सिर्फ ब्लैकबोर्ड ताकने को मजबूर हैं।शिक्षक भी बिना किताबों के कैसे पढ़ाई कराएं। नामांकन भी प्रभावित हो रहा है। अभिभावक भी बच्चों को स्कूल भेजने से कतरा रहे हैं। अकेले मुरादाबाद जनपद के 1400 विद्यालयों में लगभग 2 लाख बच्चों का नामांकन है।
गौरतलब है कि पहली बार मुरादाबाद में बेसिक शिक्षा विभाग ने घंटी बजाओ, स्कूल चलो अभियान की एक माह की अवधि में नामांकन बढ़ाने के साथ ही बच्चों का स्कूलों में प्रवेश कराकर सफलता हासिल की थी। अब स्कूलों में किताबों की कमी ही शिक्षा विभाग के अभियान को पलीता लगाती नजर आ रही है। उत्तर प्रदेश महिला शिक्षक संघ की जिलाध्यक्ष डॉ ऋतु त्यागी ने कहा कि लगभग तीन माह में पाठ्यक्रम का एक चौथाई भाग पूरा हो गया होता।
आधार कार्ड के चलते यूनिफार्म अटकी
स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों को अब तक यूनिफार्म, बैग, जूता, मोजा भी नहीं मिल सका है। दरअसल, इसके पीछे बच्चों के आधार कार्ड की अनुपलब्धता वजह बन रही है। आधार कार्ड न बनने से डीबीटी के माध्यम से यूनिफार्म, बैग, जूता, मोजा आदि का पैसा अभिभावकों के खाते में नहीं आ सका है। इसके चलते बच्चे बगैर यूनिफार्म के ही स्कूलों में पहुंच रहे हैं। दूसरी तरफ शिक्षकों का कहना है कि नगर क्षेत्र के साथ ही ग्रामीण क्षेत्रों में आधार कार्ड की उपलब्धता टेढ़ी खीर साबित हो रही है। विभाग का जोर है कि सबके आधार कार्ड बनाए जाएं। ऐसे में बच्चे आधार कार्ड की अनिवार्यता के चलते सरकारी योजना का लाभ नहीं ले पा रहे हैं।
“आधार कार्ड की अनिवार्यता का नियम व्यवहारिक नहीं है। अभिभावक व शिक्षकों पर अनावश्यक दबाव बनाना अनुचित है। नगर क्षेत्र में बच्चों के आधार कार्ड बनवाने की कोई व्यवस्था नहीं की गई है।“
-राकेश कौशिक, महानगर अध्यक्ष, प्राथमिक शिक्षक संघ
“डीबीटी के लिए आधार कार्ड को मुख्य अभिलेख बनाना अनुचित है। इसके चलते बच्चों को सरकारी सुविधाओं का लाभ नहीं मिल पा रहा है। आधार एकत्र न कर पाने वाले शिक्षकों पर कार्यवाही की बात कहना भी गलत है।“
-राहुल शर्मा, वरिष्ठ उपाध्यक्ष, प्राथमिक शिक्षक संघ
“परिषदीय विद्यालयों में विगत अप्रेल माह से शिक्षण सत्र शुरू हो चुका है। इतना समय बीतने के बावजूद विभाग अभी तक निशुल्क पाठ्य पुस्तकें उपलब्ध नहीं करा सका है। इससे बच्चों के पठन-पाठन व नामांकन पर विपरीत असर पड़ रहा है।”-आशीष सिंह, ब्लॉक संयोजक, राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ, ठाकुरद्वारा
“एक सप्ताह के अंदर विद्यालयों में पुस्तकें उपलब्ध करा दी जाएंगी। स्कूल एडमिशन और आधार का कोई संबंध नहीं है। प्रत्येक विकास क्षेत्र में आधार मशीन उपलब्ध कराई गई हैं। 92 फीसदी आधार कार्ड बन चुके हैं। शेष 8 फीसदी आधार कार्ड हम अपनी मशीनो से बनवा रहे हैं। अभिभावक सुविधानुसार पोस्ट ऑफिस, बैंकों से भी आधार कार्ड बनवा सकते हैं।“
-बुद्ध प्रिय सिंह, बेसिक शिक्षा अधिकारी।