बेरोजगारों को वापस नहीं मिल सके 290 करोड़ रुपए, 72825 शिक्षक भर्ती का है मामला, फीस के रूप में सरकार को मिले थे 290 करोड रुपए
डायटों की लापरवाही के कारण नहीं हो सका रुपयों का भुगतान
देखते-देखते 5 साल बीत गए लेकिन बेरोजगारों को खुद के 289 करोड़ रुपए में से एक चवन्नी भी वापस नहीं मिल सके। बेसिक शिक्षा परिषद ने 23 जनवरी 2019 तक अभ्यर्थियों को फीस वापस करने की बात कही थी लेकिन जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थानों (डायट) की लापरवाही से भुगतान नहीं हो सका।
परिषदीय प्राथमिक विद्यालयों में 72825 प्रशिक्षु शिक्षक भर्ती के लिए 13 नवंबर 2011 को पहली बार आयोजित यूपीटीईटी की कथित तौर पर घोटाले की बात सामने आने पर दिसंबर 2012 में एकेडमिक मेरिट पर भर्ती शुरू हुई थी। आवेदन फीस के रूप में सरकार को 2,89,98,54,400 रुपये मिले थे लेकिन बाद में सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर टीईटी मेरिट पर 72825 भर्ती पूरी हुई और एकेडमिक मेरिट पर भर्ती की प्रक्रिया पूरी नहीं हो सकी थी।
9 साल से अधिक का समय बीतने के बावजूद अब तक अभ्यर्थियों के रुपए उनके खातों में वापस नहीं भेजे जा सके हैं। बेसिक शिक्षा परिषद की पूर्व सचिव रूबी सिंह ने फीस वापसी के लिए अभ्यर्थियों से 03 से 30 नवंबर 2018 तक संबंधित डायट में आवेदन पत्र रजिस्टर्ड/स्पीड पोस्ट या वाहक के माध्यम से साक्ष्यों के साथ उपलब्ध कराने को कहा था। परिषद की ओर से 7 जनवरी 2019 तक डायट प्राचार्य के खाते में आरटीजीएस के जरिए मांगी गई धनराशि उपलब्ध करानी थी। उसके बाद अभ्यर्थियों के खाते में रुपए भेजने थे लेकिन अधिकांश डायट से मांग पत्र नहीं मिलने के कारण बजट जारी नहीं हो रहा।
30 से 40 हजार रुपए तक खर्च किए थे
दिसंबर 2012 में एकेडमिक रिकॉर्ड के आधार पर 72825 प्रशिक्षु शिक्षकों की भर्ती प्रक्रिया शुरू होने पर एक-एक अभ्यर्थी ने औसतन 30 से 40 हजार रुपये खर्च किए थे। सामान्य व ओबीसी वर्ग के लिए 1 जिले से आवेदन फीस ₹500 थी। अधिकतर अभ्यर्थियों ने सभी 75 जिलों से फॉर्म भरा था इस लिहाज से ₹37500 सिर्फ फीस पड़ी थी। इसके बाद चालान और डॉक आदि पर हजारों रुपए खर्च हुए थे।