बेसिक शिक्षा व माध्यमिक शिक्षा विभाग

नई शिक्षा नीति: शिक्षामंत्री के बयान पर हंगामा, वापस लेनी पड़ी टिप्पणी


नई शिक्षा नीति: शिक्षामंत्री के बयान पर हंगामा, वापस लेनी पड़ी टिप्पणी

द्रमुक का आरोप-पीएमश्री के 2,000 करोड़ दूसरे राज्यों को दिए… प्रधान बोले-छात्रों का भविष्य बर्बाद न करें

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नई दिल्ली। संसद के बजट सत्र के दूसरे चरण की शुरुआत हंगामे से हुई। लोकसभा में प्रश्नकाल के दौरान द्रमुक सांसद टी सुमति ने नई शिक्षा नीति के जरिये हिंदी को दक्षिणी राज्यों पर थोपने की साजिश करार देते हुए इसे असांविधानिक करार दिया। इस दौरान, केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान की तमिलनाडु सरकार के खिलाफ टिप्पणी से द्रमुक सांसदों की नारेबाजी और हंगामे के चलते लोकसभा की कार्यवाही स्थगित करनी पड़ी। हालांकि बाद में प्रधान ने अपनी टिप्पणी वापस ले ली।

द्रमुक ने आरोप लगाया कि नई शिक्षा नीति (एनईपी) स्वीकार नहीं करने के कारण तमिलनाडु को पीएमश्री योजना के तहत आवंटित किए जाने वाले 2,000 करोड़ रुपये की केंद्रीय राशि अन्य राज्यों को हस्तांतरित कर दी गई है। सुमति ने पूछा कि क्या स्कूली छात्रों की शिक्षा के लिए चिह्नित धन को राज्य के खिलाफ बदला लेने के औजार के तौर पर इस्तेमाल किया जाना चाहिए?

इस पर, केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने कहा कि द्रमुक सिर्फ राजनीति कर रही है। तमिलनाडु के छात्रों का भविष्य बर्बाद करने पर तुली हुई है। कोई किसी पर कोई भाषा नहीं थोप रहा है। तमिलनाडु में पीएमश्री स्कूलों में केवल तमिल भाषा ही शिक्षा का माध्यम होगी।

शिक्षा मंत्री बोले- राज्य सरकार राजी तो पीएमश्री आवंटन में आपत्ति नहीं

द्रमुक सांसद के सवाल के जवाब में प्रधान ने कहा कि जिन लोगों के पास कोई तथ्य नहीं है, वे केवल शोरशराबा कर विषय को भटकाना चाहते हैं। एक समय था जब तमिलनाडु सरकार केंद्र के साथ एनईपी पर एमओयू पर हस्ताक्षर करने को तैयार थी। तमिलनाडु के शिक्षा मंत्री के साथ कुछ सदस्य हमारे पास आए थे और उन्होंने सहमति जताई थी। राज्य सरकार राजी हो जाए तो हमें उन्हें पीएमश्री आवंटन में कोई आपत्ति नहीं है।

प्रधान ने कहा कि तमिलनाडु सरकार का विरोध क्या है? मुझे यह समझ में नहीं आता है। पंजाब, कर्नाटक, हिमाचल जैसे गैर भाजपाशासित राज्य पीएमश्री और नई शिक्षा नीति को लागू कर रहे हैं। कोई किसी पर कोई भाषा नहीं थोप रहा है। द्रमुक सांसद जानबूझकर राजनीति कर रहे हैं। यह दुर्भाग्यपूर्ण है। वे छात्रों के साथ अन्याय कर रहे हैं। उनका एकमात्र काम भाषा की रुकावट खड़ी करना है।

केंद्रीय विद्यालयों में दाखिले में सांसदों का कोटा फिर से लागू करने का प्रस्ताव नहीं

नई दिल्ली। केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने केंद्रीय विद्यालयों में दाखिले के लिए सांसदों का कोटा फिर से लागू करने के किसी भी प्रस्ताव को खारिज कर दिया। प्रधान ने लोकसभा में कहा, केंद्रीय विद्यालय संगठन ने सांसदों के लिए कोटा सहित कुछ विशेष प्रावधानों को वापस ले लिया है। ये स्वीकृत कक्षा क्षमता से परे थे और छात्रों की शिक्षा को प्रभावित कर रहे थे। स्वस्थ छात्र शिक्षक अनुपात को बनाए रखते हुए प्रणाली में गुणात्मक परिवर्तन लाने और राष्ट्रीय शिक्षा नीति, 2020 के दृष्टिकोण के अनुरूप वांछित परिणाम हासिल करने के लिए 2022 में इन प्रावधानों समाप्त कर दिया गया। विशेष प्रावधानों के तहत, सांसदों को किसी केंद्रीय विद्यालय में 10 बच्चों के प्रवेश की सिफारिश करने का विवेकाधीन अधिकार था। ब्यूरो

कनिमोझी ने उठाए सवाल कार्यवाही से टिप्पणी हटाई

तमिलनाडु सरकार के खिलाफ प्रधान की टिप्पणी से नाराज द्रमुक सांसदों ने जमकर हंगामा किया और वेल तक जा पहुंचे। हंगामा बढ़ने पर सदन की कार्यवाही 11:30 बजे आधे घंटे के लिए स्थगित करनी पड़ी। लोकसभा की कार्यवाही फिर से शुरू होने पर द्रमुक सांसद कनिमोझी ने कहा कि मंत्री ने द्रमुक सांसदों पर गलत टिप्पणी की है। इसे स्वीकार नहीं किया जा सकता। इस पर प्रधान ने कहा कि वह अपने शब्द वापस लेते हैं। लोकसभा अध्यक्ष ने आपत्तिजनक टिप्पणी को कार्यवाही से निकालने का आदेश दिया।


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