प्रयागराज:- इलाहाबाद हाई कोर्ट ने शिक्षा विभाग के अधिकारियों के कामकाज पर तल्ख टिप्पणी की है । कहा है अधिकारी म्यूजिकल चेयर गेम में लिप्त हैं और अपना काम न कर दूसरे पर तोहमत मढ़ रहे हैं । आठ माह तक जिला विद्यालय निरीक्षक व अपर शिक्षा निदेशक बैठे रहे , जब अवमानना केस की तारीख नजदीक आई तो कहा कि उन्हें दो लाख रुपये से अधिक के भुगतान का अधिकार नहीं है । माध्यमिक शिक्षा निदेशक के अनुमोदन पर ही भुगतान किया जा सकता है । शिक्षा निदेशक को संस्तुति भेज दी गई है । यह टिप्पणी न्यायमूर्ति रोहित रंजन अग्रवाल ने सुनील कुमार दुबे की अवमानना याचिका की सुनवाई करते हुए की है । पीठ ने माध्यमिक शिक्षा निदेशक को एक सप्ताह में निर्णय लेकर अनुपालन हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया है । साथ ही अपर मुख्य सचिव माध्यमिक शिक्षा उप्र को लापरवाह अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई करने का आदेश दिया है ताकि कोर्ट को इनके खिलाफ आदेश जारी करने की नौबत न आए ।

याची आदर्श इंटर कालेज मीरजापुर में चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी हैं । हाई कोर्ट ने जिला विद्यालय निरीक्षक को छठवें व सातवें वेतन आयोग की सिफारिशों के तहत उसके अवशेष वेतन भुगतान के लिए 24 फरवरी 2021 को आदेश दिया था । कुल 20 , 73418 रुपये का भुगतान किया जाना है । आदेश का अनुपालन नहीं होने पर देवकीसिंह व अन्य डीआइओएस के खिलाफ अवमानना याचिका दायर की गई । समय दिया गया फिर भी पालन नहीं किया तो अपर शिक्षा निदेशक डा महेंद्र देव तलब भी किए गए । जिला विद्यालय निरीक्षक व अपर शिक्षा निदेशक ने कोर्ट में हाजिर होकर कहा कि उन्हें दो लाख रुपये तक के भुगतान का ही अधिकार है । प्रकरण माध्यमिक शिक्षा निदेशक के पास सात मई 2022 को अनुमोदन के लिए भेजा गया है । मामले में अगली सुनवाई 26 मई को होगी ।

“शिक्षा विभाग के अधिकारियों की नाकाबिलियत के कारण अवमानना केस बढ़ रहे हैं । कोर्ट की कार्यवाही में व्यवधान उत्पन्न हो रहा है क्योंकि एक अवमानना केस वर्षों चलता है । ऐसे अधिकारियों पर कार्रवाई होनी चाहिए।” – इलाहाबाद हाई कोर्ट


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