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हाईकोर्ट की सख्ती पर मृतक आश्रित पत्नी को किया देयो का भुगतान


हाईकोर्ट की सख्ती पर मृतक आश्रित पत्नी को किया देयो का भुगतान

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आवास विकास के हाउसिंग कमिश्नर व अधिशासी अभियंता कोर्ट में हुए पेश, मेरठ जिले का मामला पति की मौत के बाद पत्नी को नहीं हुए थे सभी देयों के भुगतान।

प्रयागराज:- पति की मौत के बाद उसकी पत्नी समरेश देवी को पेंशन, इंश्योरेंस, जीपीएफ सहित अन्य देयो के भुगतान ना होने के मामले में सोमवार को आवास विकास के हाउसिंग कमिश्नर अजय चौहान और मेरठ डिवीजन-4 सहारनपुर के अधिशासी अभियंता एमबी कौशिक हाई कोर्ट में पेश हुए। दोनों अधिकारियों से कोर्ट से माफी मांगते हुए बताया कि उन्होंने विधवा के सभी देयो का भुगतान कर दिया है। जो भुगतान बाकी है वह उसे जल्द कर दिए जाएंगे। जबकि पेंशन देने के मामले में दोनों अधिकारियों ने समय मांगा है।

कोर्ट ने कहा है कि विधवा को पेंशन का भुगतान कर उसका विवरण कोर्ट में पेश करे। मामले की सुनवाई न्यायमूर्ति सरल श्रीवास्तव की एकल खंडपीठ कर रही थी। कोर्ट ने पिछली तिथि पर दोनों अधिकारियों को उपस्थित होकर जवाब दाखिल करने के लिए कहा था। याची का कहना था कि उसके पति की नियुक्ति फरवरी 2021 को मौत हो गई थी उसके बाद से उसे पेंशन नहीं दी जा रही है। इसके अलावा इंश्योरेंस जीपीएफ का भी भुगतान नहीं किया गया।

पेंशन मांगने पर थमा दिया नोटिस:-

याची का कहना था कि विभाग ने मृतक आश्रित में उसके बेटे को नौकरी तो दी लेकिन उसे कारण बताओ नोटिस जारी कर उस पर दबाव बना रहे हैं। अधिकारियों ने नोटिस जारी कर कहा कि आप अपनी माता और घरवालों को भरण-पोषण नहीं कर रहे हैं क्यों ना आपकी सेवा समाप्त कर दी जाए। आवास विकास की ओर से जारी इस नोटिस को याची ने कोर्ट में भी प्रस्तुत किया था इस पर कोर्ट ने नाराजगी जताई। कोर्ट ने इस मामले को दो बार पहले भी याची को पेंशन देने इंश्योरेंस जीपीएफ सहित अन्य भुगतान का आदेश दिया था लेकिन आवास विकास परिषद ने कोई कार्रवाई नहीं की सोमवार को पेशवे दोनों अधिकारियों ने जवाबी हलफनामा लगाते हुए कोर्ट से माफी मांगी और देवों के भुगतान की बात कही। याची के अधिवक्ता ने पेंशन दिए जाने का मामला उठाया उस पर प्रतिवादी के अधिवक्ता ने तर्क दिया कि याची के पति की नियुक्ति वर्ष 2010 में हुई थी इसलिए मैं पेंशन की हकदार नहीं है कोर्ट ने कहा कि आशिकी सेवाओं को उसकी संविदा से जोड़कर देखा जाना चाहिए इस पर प्रतिवादी के अधिवक्ता ने 2 हफ्ते का समय मांग लिया।


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