प्रयागराज:- कस्तूरबा गांधी विद्यालयों में शिक्षकों की नियुक्ति में बड़े पैमाने पर धांधली सामने आई है। इलाहाबाद हाईकोर्ट के निर्देश पर उच्च स्तरीय जांच में एक ही जिले में आधा दर्जन फर्जी नियुक्तियों का खुलासा हुआ है। जांच आगे बढ़ी तो यह आंकड़े और बढ़ सकते हैं। क्योंकि प्रदेश भर में ऐसी सैकड़ों नियुक्तियों की आशंका जताई जा रही है। फिलहाल बलिया जिले में फर्जी नियुक्तियों का यह मामला सामने आने के पश्चात शासन स्तर से न सिर्फ में शिक्षकों के विरुद्ध कार्रवाई शुरू कर दी गई है बल्कि जिन बेसिक शिक्षा अधिकारियों के कार्यकाल में यह नियुक्तियां हुई थी उन पर भी गाज गिरना तय है। क्योंकि शासन ने बलिया में तैनात रहे तीन बीएसए के खिलाफ जांच भी शुरू कर दी है।
बेसिक शिक्षा विभाग बलिया के अधिवक्ता संजय चतुर्वेदी ने सचिव बेसिक शिक्षा अनामिका सिंह की ओर से हाईकोर्ट मैं प्रस्तुत व्यक्तिगत हलफनामे के साथ जांच रिपोर्ट का हवाला देकर कोर्ट को बताया की 22 जनवरी 2021 के हाईकोर्ट के आदेश के क्रम में सरकार ने राज्य परियोजना निदेशक से मामले में जांच कराई शिक्षकों की नियुक्तियों में फर्जीवाड़ा सामने आने के बाद वर्ष 2011 से 2016 के बीच बलिया में कार्यरत रहे बीएसए रमाशंकर, मनोहर प्रसाद और राकेश सिंह के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई शुरू कर दी।
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बलिया के कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालय में वार्डन के पद पर कार्यरत रुचि सिंह की याचिका पर सुनवाई करते हुए बेसिक शिक्षा विभाग को कस्तूरबा विद्यालयों में शिक्षकों की नियुक्ति पर धांधली की उच्च स्तरीय जांच कराने का निर्देश दिया था। आरोप है कि कस्तूरबा विद्यालयों में फर्जी मार्कशीट और सर्टिफिकेट के आधार पर कई नियुक्तियां की गई। बाद में मामले का खुलासा होने पर बेसिक शिक्षा अधिकारी ने आरोपी शिक्षकों को बर्खास्त करते हुए मानदेय रोक दिया जिसे याचिका दाखिल करके चुनौती दी गई। याची के अधिवक्ता का कहना था कि प्रकरण की पूरी तरह से जांच कराए बिना कार्रवाई की गई है। इस पर कोर्ट ने मामला सचिव बेसिक शिक्षा को वापस भेजते हुए उच्च स्तरीय जांच का निर्देश दिया था। कोर्ट के आदेश पर हुई जांच में आधा दर्जन से अधिक शिक्षकों की नियुक्तियां फर्जी दस्तावेजों के आधार पर पाई गई हैं।