बेसिक शिक्षा विभाग: जर्जर भवनों में अटकी स्कूली बच्चों की सांस

प्रयागराज : प्रदेश सरकार शिक्षा के प्रति भले ही कटिबद्ध एवं विद्यालयों की समुचित व्यवस्था को लेकर करोड़ों रुपये पानी की तरह बहाती आ रही हो, लेकिन स्थानीय अफसरों की शिथिलता के चलते स्कूली बच्चे जर्जर भवनों में बैठकर शिक्षा लेने को मजबूर हैं। जर्जर भवनों में बच्चों की सांसें अटकी हुई है। विद्यालय के ध्वस्तीकरण का आदेश और निर्माण के लिए धनराशि स्वीकृत होने के बाद भी अफसर मनमानी से बाज नहीं आ रहे हैं। 

नगर पंचायत सिरसा में बेसिक शिक्षा परिषद से संचालित उच्च प्राथमिक संविलियन विद्यालय की स्थापना सन 1885 में कराई गई थी। इसका निर्माण सन 1887 में हुआ था। इस विद्यालय में प्रधानाचार्य, शिक्षक, रसोइया, चपरासी सहित स्कूली बच्चों के लिए समुचित व्यवस्थाएं कराई गई। लेकिन निर्माण के बाद से तकरीबन 135 वर्ष व्यतीत होने के बावजूद विद्यालय के भवनों को आज तक दुरुस्त नहीं कराया जा सका। इन दिनों विद्यालय का आलम यह है कि भवन पूरी तरह से जर्जर हो चुके हैं। खपरैल की छत से बरसात के दिनों में पानी टपकने लगता है। इससे स्कूली बच्चों को खासी परेशानी का सामना करना पड़ता है। सबसे मुख्य बात प्राथमिक विद्यालय का भवन निर्माण पूर्ण हो चुका है, जिसमे 220 बच्चे शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं। उच्च प्राथमिक विद्यालय अभी तक जर्जर भवनों में ही संचालित किया जा रहा है। 135 बच्चें अपनी जान जोखिम में डालकर मजबूरी में शिक्षा ले रहे हैं। सबंधित अधिकारी अनजान बने हुए हैं। धनराशि स्वीकृत होने के बाद भी नहीं हो रहा। निर्माण विद्यालय के प्रधानाचार्य रामेश्वर प्रसाद ने बताया कि विद्यालय स्थापना के बाद से ही संचालित हो रहा है। इस बीच कई बार निजी रकम से भवनों को दुरुस्त कराया गया, लेकिन समय अधिक होने के कारण भवन पूरी तरह से जर्जर हो चुके हैं।

उन्होंने बताया कि जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी द्वारा भवन के ध्वस्तीकरण का आदेश एवं निर्माण हेतु 39 लाख धनराशि भी स्वीकृत हो चुकी है। अभी तक नवनिर्माण कार्य शुरू नहीं हो पाया है। उन्होंने बताया कि सर्वाधिक समस्याएं बरसात के दिनों में होती है। जीव जंतुओं का भय बना रहता है। साथ ही बरसात का पानी छतों से टपकने लगता है। इससे बच्चों के पठन पाठन में परेसानी बढ़ जाती है। क्या कहते हैं स्कूली बच्चे विद्यालय के छात्र आर्यन गौड़ का कहना है कि विद्यालय की दीवार फट गई हैं और दीवारों से प्लास्टर नीचे गिरता है। बहुत डर लगता है। जीव-जंतुओं से काफी भय लगता है। बैठने के लिए कोई व्यवस्था नहीं है। जमीन पर बैठकर शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं। पिंकी निषाद ने कहा कि साहब..भवन जर्जर हो गए हैं। छत से पानी टपकता है। कक्षा आठ की छात्रा काजल ने कहा कि विद्यालय के शिक्षक तो ठीक हैं। विद्यालय की व्यवस्था ठीक नही है। 

विद्यालय का भवन पूरी तरह से जर्जर हो चुका है। स्थापना के बाद अभी तक मरम्मत न कराए जाने से भवन जर्जर हो गए हैं। विद्यालय के ध्वस्तीकरण एवम नवनिर्माण हेतु स्वीकृत की गई धनराशि की जानकारी नहीं है। यदि धनराशि स्वीकृत की गई है तो अविलंब निर्माण कार्य शुरू कराया जाएगा।”-नीरज श्रीवास्तव, प्रभारी खंड शिक्षा अधिकारी, उरुवा


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