हाईकोर्ट का अहम फैसला: रिटायरमेंट के बाद किसी कर्मचारी पर नहीं कर सकते विभागीय कार्रवाई, बड़े पूरा मामला

गुजरात हाईकोर्ट ने एक अहम फैसला सुनाते हुए कहा है कि सरकारी विभाग किसी कर्मचारी के रिटायर होने के बाद उसके खिलाफ विभागीय कार्रवाई शुरू नहीं कर सकता । उसे स्वैच्छित सेवानिवृत्ति से भी नहीं रोक सकता ।

गुजरात हाईकोर्ट ने रिटायरमेंट के बाद कार्रवाई को लेकर एक अहम फैसला दिया है । हाईकोर्ट का कहना है कि कर्मचारी के सेवानिवृत्त होने के बाद सरकारी विभाग उसके खिलाफ ना तो विभागीय जांच शुरू कर सकता है और ना ही किसी कथित अनियमितता के लिए आरोप पत्र जारी सकता है । हाईकोर्ट ने यह भी कहा है कि अधिकारी किसी कर्मचारी को स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति लेने से नहीं रोक सकते ।

इस टिप्पणी के साथ , अदालत ने शुक्रवार को हेमचंद्राचार्य उत्तर गुजरात विश्वविद्यालय द्वारा अपने डिप्टी इंजीनियर भूपेंद्र पटेल के खिलाफ विभागीय कार्रवाई को अमान्य कर दिया । इससे पहले की कथित अनियमितता को लेकर विश्वविद्यालय उनके खिलाफ कार्रवाई शुरू करता उन्होंने स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति ले ली थी । इस मामले में विश्वविद्यालय ने 1992 में पटेल को डिप्टी इंजीनियर के पद पर नियुक्त किया था ।

सेवा के 20 साल पूरे होने के बाद , पटेल ने स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति का विकल्प चुना और अक्टूबर 2013 में तीन महीने का नोटिस दिया । विश्वविद्यालय ने उनके इस्तीफे का कोई जवाब नहीं दिया । जनवरी 2014 में पटेल के सेवानिवृत्त होने के 21 महीने बाद , विश्वविद्यालय ने सितंबर 2015 में उनके खिलाफ एक आरोप पत्र जारी किया क्योंकि एक जांच रिपोर्ट से पता चला कि पटेल ने कथित रूप से विश्वविद्यालय को भारी नुकसान पहुंचाया था ।

विश्वविद्यालय के कार्यकारी परिषद ने 2017 में उनके खिलाफ कार्रवाई करने का फैसला किया । दूसरी ओर , पटेल ने विभिन्न निर्णयों का हवाला देते हुए विश्वविद्यालय की कार्रवाई के खिलाफ उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया । उन्होंने कहा कि एक सेवानिवृत्त कर्मचारी के खिलाफ विभागीय जांच शुरू नहीं की जा सकती है । उन्होंने कहा कि चूंकि विश्वविद्यालय ने उनके इस्तीफे को स्वीकार या अस्वीकार नहीं किया था , इसलिए उन्हें गुजरात सिविल सेवा ( पेंशन ) नियम , 2002 के नियम 48 के अनुसार 2014 में सेवानिवृत्त माना जाए । ऐसे में उनकी सेवानिवृत्ति के बाद , कोई भी विभागीय जांच अमान्य होगी ।

हाईकोर्ट ने मामले की सुनवाई के बाद सुप्रीम कोर्ट के उस आदेश का हवाला दिया जिसमें कहा गया था कि अगर किसी कर्मचारी ने कोई अवैध काम किया है तो सरकार उसकी पेंशन रोक सकती है , लेकिन उसकी स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति को नहीं रोका जा सकता । होईकोर्ट ने पटेल के खिलाफ विभागीय कार्रवाई को अमान्य घोषित कर दिया क्योंकि विभागीय जांच शुरू होने से पहले ही पटेल को सेवानिवृत्त माना जाता है । हालांकि कोर्ट ने कहा कि विश्वविद्यालय अपनी जांच रिपोर्ट के निष्कर्षों के आधार पर पटेल के खिलाफ कोई भी उचित कार्रवाई शुरू कर सकता है ।


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