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यूपी के अस्पतालों में लागू होगा कोविड प्रोटोकॉल


यूपी के अस्पतालों में लागू होगा कोविड प्रोटोकॉल

लखनऊ:- देश में कोरोना के नए वेरिएंट को लेकर हुए अलर्ट के बाद राज्य सरकार ने एहतियातन तैयारी शुरू कर दी है। सीएम योगी के निर्देश के बाद गुरुवार को स्वास्थ्य और चिकित्सा शिक्षा विभाग हरकत में आ गए। कोविड एडवाइजरी कमेटी की गुरुवार को हुई बैठक में बिना पैनिक किए अस्पतालों में कोविड प्रोटोकॉल का पालन कराने की सिफारिश की गई। प्रदेश में कोरोना जांच का दायरा बढ़ाया जाएगा।

सरकार बचे हुए लोगों के टीकाकरण और स्वास्थ्य कर्मियों को बूस्टर डोज लगाने पर फोकस करेगी। मेडिकल कॉलेजों में कोविड मरीजों के लिए वार्ड आरक्षित किए जाएंगे। अस्पतालों से लेकर सभी भीड़-भाड़ वाले स्थानों पर लोगों को मॉस्क लगाना जरूरी कर दिया जाएगा। फिलहाल औसतन 20 से 25 हजार जांचें रोज की जा रही हैं। जिनोम सीक्वेंसिंग का सिलसिला तो लगभग थम ही गया था।कोविड एडवाइजरी कमेटी की एसजीपीआई के निदेशक डा. आरके धीमान की अध्यक्षता में हुई बैठक की सिफारिशों के आधार पर चिकित्सा शिक्षा विभाग की विशेष सचिव दुर्गा शक्ति नागपाल ने आदेश जारी कर दिया। वहीं प्रमुख सचिव चिकित्सा शिक्षा आलोक कुमार ने सभी चिकित्सा संस्थानों और मेडिकल कॉलेजों के प्राचार्यों संग मीटिंग कर तैयारियों की समीक्षा की। कोविड-19 के नए वेरिएंट बीएफ.7 बचाव, उपचार और प्रबंधन के लिए आदेश जारी कर दिया गया है।

ये दिशा-निर्देश दिए गए:

जांच प्रक्रिया में तेजी लाई जाए। रिपोर्ट पॉजिटिव आने पर जीनोम सीक्वेंसिंग की जाए
● प्रदेश में अभी केजीएमयू और जिम्स नोएडा में जिनोम सीक्वेंसिंग की सुविधा उपलब्ध
● सभी प्राचार्य सुनिश्चित करेंगे कि डॉक्टर, पैरामेडिकल स्टाफ, मरीज के लिए पूर्व की तरह कोविड प्रोटोकॉल लागू हो
● जिन स्थायी और आउटसोर्सिंग कर्मियों को बूस्टर डोज नहीं लगी है, उनका टीकाकरण कराया जाए

डेडीकेटेड कोविड अस्पताल:

प्रदेश में करीब एक दर्जन जिला अस्पतालों को उच्चीकृत कर मेडिकल कॉलेज का दर्जा दे दिया गया है। हालांकि अभी स्टाफ सहित अन्य चीजों के हस्तांतरण की प्रक्रिया पूरी नहीं हुई है। जरूरत पड़ने पर इन उच्चीकृत अस्पतालों को डेडीकेटेड कोविड अस्पताल बनाया जा सकता है। चिकित्सा शिक्षा विभाग के अधिकारीस्वास्थ्य विभाग के साथ समन्वय स्थापित करेंगे।

ज्यादातर एंटीजन जांच:

प्रदेश के तमाम जिलों में कोरोना जांच कराने बहुत कम ही लोग पहुंच रहे हैं। जो जांचें हो भी रही हैं, वो अधिकांशत एंटीजन किट से ही हो रही हैं। एक चिकित्साधिकारी ने बताया कि आरटीपीसीआर टेस्ट वीटीएम की कमी के चलते नहीं हो पा रहे।

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