बच्चों को अनिवार्य शिक्षा न मिलने के जिम्मेदारों पर क्यों न की जाए कड़ी कार्रवाई: हाईकोर्ट


बच्चों को अनिवार्य शिक्षा न मिलने के जिम्मेदारों पर क्यों न की जाए कड़ी कार्रवाई: हाईकोर्ट

प्रयागराज। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा है कि प्राइमरी स्कूलों में अध्यापकों के खाली पदों के चलते बच्चों को शिक्षा नहीं मिल पा रही है। यह उनके मौलिक अधिकार का हनन है। इसके जिम्मेदार अधिकारियों पर क्यों न कड़ी कार्रवाई की जाए।

यह टिप्पणी न्यायमूर्ति प्रकाश पाडिया की अदालत ने बांदा के कृषि औद्योगिक विद्यालय की प्रबंध समिति की याचिका पर सुनवाई के दौरान की। इस संबंध में अपर सचिव बेसिक शिक्षा उप्र से व्यक्तिगत हलफनामा मांगा है। बांदा स्थित कृषि औद्योगिक विद्यालय कमेटी ने कहा हाईकोर्ट ने अपर सचिव बेसिक शिक्षा उप्र से मांगा व्यक्तिगत हलफनामा 15 नवंबर 2022 को भर्ती परिणाम घोषित किया गया था।

हाईकोर्ट से उस पर रोक थी। लेकिन, वह याचिका भी कि एक समय था, जब विद्यालय में एक प्रधानाध्यापक व चार सहायक अध्यापक कार्यरत थे। वर्तमान में विद्यालय में न प्रधानाध्यापक हैं और न ही सहायक अध्यापक। 15 फरवरी 2024 को खारिज हो गई है। एक साल बीतने के बाद भी खाली पदों पर नियुक्ति नहीं हो सकी है। विद्यालय मान्यता प्राप्त व राज्य वित्त पोषित है। उसमें कोई भी सरकारी अध्यापक नहीं है। याची अधिवक्ता ने दलील दी कि सभी बाधाएं हटने के एक साल बाद भी खाली पदों को अभी तक भरा नहीं गया है।

कोर्ट ने अपर सचिव से पूछा है कि लापरवाह अधिकारियों पर कार्रवाई क्यों न की जाए। मामले की अगली सुनवाई 11 मार्च को होगी।

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