सीएम शुरू करेंगे मिशन शक्ति का चौथा चरण, अनुपस्थित बालिकाओं के अभिभावकों की बनाएं सूची
लखनऊ: महिला सशक्तिकरण के लिए योगी सरकार मिशन शक्ति अभियान चला रही है। इसके चौथे चरण का शुभारंभ जल्द ही मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ करेंगे। इसके लिए सभी तैयारियां पूरी करने का निर्देश संबंधित विभागों को मुख्य सचिव दुर्गा शंकर मिश्र ने दिया है। उन्होंने कहा कि अभियान के दौरान महिला सुरक्षा से जुड़ी गतिविधियां और सक्रियता से चलाई जाएंगी। विभाग अपने लक्ष्य तय कर लें, ताकि उनकी नियमित समीक्षा की जा सके।
लोकभवन में शनिवार को आयोजित बैठक में मुख्य सचिव ने निर्देश दिया कि मिशन शक्ति अभियान के तहत एक पोर्टल तैयार किया जाए, जिसमें महिलाओं के जीवन स्तर को उठाने व उनकी आय को बढ़ाने संबंधी जानकारी के साथ ही सरकार द्वारा चलाई जा रही योजनाओं की जानकारी डाली जाए। अभियान के दौरान होने वाली विभिन्न गतिविधियों को भी पोर्टल पर अपलोड किया जाए। उन्होंने कहा कि इस अभियान का उद्देश्य अधिक से अधिक महिलाओं तक पहुंचकर उन्हें सरकार की योजनाओं का लाभ देना है। इसके लिए सभी विभाग आपसी समन्वय बनाकर महिलाओं से बात कर प्रदेश सरकार की ओर से महिलाओं के लिए चलाई जा रही कल्याणकारी योजनाओं की जानकारी दें। पात्र लोगों को चिन्हित कर योजनाओं का लाभ दिलाया जाए।
सुरक्षित मातृत्व, सुरक्षित शिशु तथा महिला स्वास्थ्य आदि विषयों पर भी जानकारी दी जानी चाहिए। मुख्य सचिव ने निर्देशित किया कि यह देखा जाए कि कार्यस्थल पर महिलाओं के यौन उत्पीड़न से सुरक्षा संबंधी समिति का गठन हुआ है या नहीं और समितियां गठन के बाद काम कर रही हैं या नहीं। जहां भी यह समितियां नहीं बनी हैं, वहां बनवाएं। महिला बीट प्रणाली को मजबूत करें। शिक्षण संस्थानों और विभिन्न सार्वजनिक स्थानों पर महिला सशक्तिकरण पेंटिंग व आपातकालीन हेल्पलाइन नंबरों का प्रचार-प्रसार कराएं।
बैठक में गृह, ग्राम्य विकास, युवा कल्याण, नगर विकास, पंचायती राज, बेसिक शिक्षा, माध्यमिक शिक्षा, उच्च शिक्षा, महिला कल्याण, राजस्व, चिकित्सा स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग के वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।
अनुपस्थित बालिकाओं के अभिभावकों की बनाएं सूची
दुर्गा शंकर मिश्र ने कहा कि विद्यालय न जाने वाली बालिकाओं के लिए विशेष अभियान चलाकर स्कूल चलो अभियान के तहत विद्यालय में शत-प्रतिशत नामांकन कराया जाए। अनुपस्थित रहने वाली बालिकाओं के अभिभावकों की सूची तैयार कर घर जाकर उनसे संपर्क कर जागरूक किया जाए। वहीं, शिक्षण संस्थानों में बालिकाओं की सुरक्षा के विषय में जागरुकता के लिए निबंध, लेखन, भाषण, वाद-विवाद प्रतियोगिता का आयोजन होना चाहिए। विभिन्न क्षेत्रों में ख्याति प्राप्त महिलाओं के साथ संवाद कराएं, ताकि उन्हें सुनकर छात्रएं प्रेरित हो सकें। इसके अलावा सभी विद्यालयों में बालिकाओं के लिए अलग शौचालय होना चाहिए। जिन विद्यालयों में बालिकाओं के लिए शौचालय नहीं है या मरम्मत योग्य हैं, उन्हें पंचायतीराज विभाग द्वारा बनवाया जाए।