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सीएम योगी को पसंद आया आंगनबाड़ी कार्यकत्री का पढ़ाने का तरीका, शिक्षकों को सुनाया किस्सा


सीएम योगी को पसंद आया आंगनबाड़ी कार्यकत्री का पढ़ाने का तरीका, शिक्षकों को सुनाया किस्सा

लखनऊ:-सीएम योगी ने सोमवार को यूपी के सरकारी व सहायता प्राप्त स्कूलों में कक्षा एक से 8 तक पढ़ रहे करीब दो करोड़ छात्र-छात्राओं के परिजनों के खाते में 12-12 सौ रुपये भेजे। इस दौरान आयोजित समारोह में शिक्षकों का उत्साहवर्धन किया। कहा कि शिक्षक को अपने गांव के बारे में सब पता होना चाहिए। उन्होंने एक आंगनबाड़ी कार्यकत्री के पढ़ाने का किस्सा भी शेयर किया और सभी से इसी तरह पढ़ाने की अपील भी की। उन्होंने कहा कि बच्चे पढ़ाई में दिलचस्पी लें, यह शिक्षकों की जिम्मेदारी है। सरल, सुबोध और स्थानीय उदाहरण से समझाए। पुराना किस्सा सुनाते हुए बताया  कि एक बार मैं एक आंगनबाड़ी केन्द्र में अचानक गया। 25-30 बच्चे थे, आंगनबाड़ी कार्यकत्री पढ़ा रही थी, एक-एक-एक, मेरी नाक एक, दो-दो-दो मेरे कान दो…। जब मैंने वहां बच्चों से पूछा तो सभी ने उसी तरह दिलचस्पी लेकर बताया और अपने शिक्षक की बात को दोहराया। इतनी सरलता वाली पढ़ाई ही चाहिए। शिक्षक स्थानीय स्तर पर पढ़ा सकते हैं। 

सीएम योगी ने प्रिंसिपल और टीचर को दी बड़ी जिम्मेदारी

सीएम योगी ने कहा कि शिक्षक अभिभावक से मिले, बच्चे का हालचाल लें, स्कूल छोड़ने के बाद भी उसकी पढ़ाई चालू है या नहीं, यह भी जाने।अभिभावकों से कभी नकारात्मक न बोले। गांव का पूरा डाटा बैंक शिक्षकों के पास होना चाहिए कि कौन क्या कर रहा है।स्कूल छोड़ने के बाद भी बच्चों को स्कूल में बुलाया जाए, इससे बच्चे समाज के प्रति संवेदनशील बनेंगे। अपने बच्चों को भी सरकारी आंगनबाड़ी और स्कूल दिखाएं। अपने समाज से कटा बच्चा त्रिशंकु की तरह होता है। उसे संवेदनशील बनाना आपकी जिम्मेदारी है। 

बच्चों  को यूनिफार्म और स्टेशनरी के लिए खाते में भेजा 12-12 सौ

उन्होंने कहा कि यदि प्रधानाध्यापक और शिक्षक चाह लें तो क्या स्कूल में झाड़ियां उग सकती हैं? नहीं। स्कूलों की देखभाल हमें अपने धार्मिक स्थलों की तरह करनी होगी। हमारे पास छह लाख शिक्षक, शिक्षामित्र व अनुदेशक हैं। गांवों में आजादी की लड़ाई के उन सेनानियों को ढूंढ़े जिन्हें लोग न जानते हों और उनके चित्र स्कूल में लगाकर बच्चों को बताएं।

पहले 60 फीसदी नंगे पैर आते थे

सीएम योगी ने कहा कि 2017 के पहले 60-70 फीसदी बच्चे नंगे पैर स्कूल आते थे, स्कूलों में झाड़ियां और भवनों पर पेड़ उगे थे। कहीं छात्र तो कहीं शिक्षक गायब थे, पेयजल और शौचालय नहीं थे। तब गरीब लोग भी प्राइवेट स्कूल में अपने बच्चे भेज रहे थे। बच्चों की संख्या 1.34 करोड़ थी लेकिन अब हमारे स्कूल प्राइवेट स्कूलों से ज्यादा चमक रहे हैं। हमने यूनिफार्म, जूता-मोजा, स्वेटर, स्कूल बैग देना शुरू किया, स्कूलों में ऑपरेशन कायाकल्प चलाया तो स्कूलों की सूरत बदल गई है। अब बच्चों की संख्या बढ़कर 1.91 करोड़ हो गई है। मुख्यमंत्री सोमवार को इंदिरा गांधी प्रतिष्ठान में आयोजित कार्यक्रम में अभिभावकों के खाते में डीबीटी दिए जाने की शुरुआत कर रहे थे। उन्होंने शिक्षकों को अच्छे काम के लिए शाबाशी भी दी।


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