पेंशन में छेड़छाड़ पर बाबू सस्पेंड
जेडी ने डीआईओएस कार्यालय के बाबू पर की कार्रवाई, मामले की जांच शुरू
प्रयागराज:- जिले के सहायता प्राप्त माध्यमिक विद्यालयों के शिक्षकों व कर्मचारियों की पेंशन की रकम निजी कंपनी में निवेशित करने वाले जिला विद्यालय निरीक्षक कार्यालय के बाबू आलोक गुप्ता को शुक्रवार को निलंबित कर दिया गया है। मंडलीय संयुक्त शिक्षा निदेशक (माध्यमिक) दिव्यकांत शुक्ल ने वरिष्ठ सहायक आलोक गुप्ता को डीआईओएस के यूजर आईडी एवं पासवर्ड का दुरुपयोग कर कुछ शिक्षकों-कर्मचारियों के एनपीएस खातों में निवेशित रकम को बिना उनकी सहमति के डिफाल्ट फंड से अन्य फंड में स्थानान्तरित करने का दोषी पाया है।
कर्मचारी आचरण नियमावली 1956 के विरुद्ध कार्य करने पर आलोक गुप्ता को निलंबित करते हुए राजकीय इंटरमीडिएट कॉलेज अर्जुनपुरगढ़ा फतेहपुर से संबद्ध किया गया है। मामले की जांच मंडलीय सहायक बेसिक शिक्षा निदेशक तनुजा त्रिपाठी को दी गई है। जानकारों की मानें तो इस मामले में एफआईआर भी कराने की तैयारी है।
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माध्यमिक शिक्षक संघ ने चेताया
प्रयागराज एडेड कॉलेजों के शिक्षकों के एनपीएस का धन प्राइवेट कंपनियों को बिना शिक्षकों की सहमति के स्थानांतरित करने के मामले में माध्यमिक शिक्षक संघ ने गंभीरता से लिया है। संगठन के प्रतिनिधिमंडल ने शुक्रवार को मंडलीय संयुक्त शिक्षा निदेशक दिव्यकांत शुक्ल, डीआईओएस पीएन सिंह व वित्त नियंत्रक पवन कुमार को ज्ञापन देकर आपत्ति दर्ज कराई। मंडलीय मंत्री अनुज कुमार पांडेय, जिलाध्यक्ष राम प्रकाश पांडेय, जिला मंत्री जगदीश प्रसाद, डॉ. चंद्रावर शुक्ला व सुधीर मिश्रा आदि ने चेतावनी दी कि शिक्षकों की पेंशन की रकम सात दिन में पूर्व फंड में स्थानान्तरित नहीं होने पर आंदोलन करेंगे। अनुज कुमार पांडेय ने बताया कि उन्होंने एनएसडीएल से संपर्क किया था। वहां से बताया गया यह काम डीआईओएस कार्यालय से ही हुआ है। बिना शिक्षक-कर्मचारी के सहमति के ऐसा करना गलत है।
पेंशन की 80 करोड़ से अधिक राशि निजी कंपनी में ट्रांसफर
एडेड कॉलेजों के शिक्षकों-कर्मचारियों की एनपीएस में निवेशित 80 करोड़ से अधिक की रकम निजी कंपनी में ट्रांसफर करने की चर्चा है। कितने शिक्षकों और कर्मचारियों की राशि एक से दूसरे खाते में भेजी गई यह तो जांच का विषय है। बड़ी संख्या में शिक्षक-कर्मचारी ऐसे हैं जो एनपीएस का लेखाजोखा ऑनलाइन देख नहीं पाते लेकिन सूत्रों की मानें तो 80 करोड़ रुपये से अधिक निजी कंपनी के खाते में डाले गए हैं। इसके चलते शिक्षकों-कर्मचारियों को लाखों रुपये का नुकसान हुआ है। आरोप है कि इस हेराफेरी के लिए निजी कंपनी के प्रतिनिधियों ने कमीशन के रूप में मोटी रकम दी है।