फर्जी डिग्री पर हासिल की नौकरी, जांच में हुआ खुलासा तो बीएसए ने समाप्त की सेवाएं, होगी वेतन रिकवरी

कौशांबी:-कस्तूरबा गांधी आवासीय बालिका विद्यालयों में वार्डन समेत छह कर्मचारी फर्जी डिग्री पर नौकरी करते पाए गए। बेसिक शिक्षाधिकारी (बीएसए) की जांच में मामले का राजफाश होने पर सभी कर्मचारियों की सेवा समाप्त कर दी। साथ ही मंझनपुर कोतवाली में मंगलवार की रात सभी के खिलाफ मुकदमा भी दर्ज करा दिया गया। अब कर्मचारियों से वेतन की रिकवरी की कार्रवाई होगी।

जिले के परिषदीय विद्यालयों में फर्जी मार्कशीट व प्रमाण पत्र लगाकर नौकरी करने के मामले का बड़ा राजफाश हुआ है। शासन के निर्देश पर बीएसए प्रकाश सिंह द्वारा की गई गोपनीय जांच में कस्तूरबा गांधी आवासीय बालिका विद्यालय (केजीबीवि) कौशांबी की वार्डेन शोभा कुमारी जैन, केजीबीवि मंझनपुर की अंशकालीन शिक्षिका साधना गुप्ता, केजीबीवि नेवादा की पूर्णकालीन शिक्षिका निधि केसरवानी, केजीबीवि कौशांबी की सहायक रसोइया सुमन देवी, केजीबीवि सरसवां की सहायक रसोइया प्रेम कुमारी व केजीबीवि चायल की मुख्य रसोइया रेखारानी फर्जी अंकपत्र व प्रमाण पत्र के आधार पर नौकरी करती पाई गई। लिहाजा, बीएसए ने सभी की सेवा समाप्त कर दी। बीएसए ने बताया कि सभी के खिलाफ मंझनपुर कोतवाली में मुकदमा दर्ज कराया गया है। अब इनसे वेतन की रिकवरी की जाएगी।

कौन कब से कर रहा था नौकरी, कितना मिला भुगतान:

• शोभा कुमारी जैन वर्ष 2010 में भर्ती हुई थी। उस समय मानदेय 11 हजार रुपये था। वर्तमान में इन्हें 27500 रुपये प्रतिमाह भुगतान हो रहा था। साधना गुप्ता 2015 में भर्ती हुई थी। उस समय 7200 रुपये मानदेय था। वर्तमान में 9800 रुपये प्रतिमाह भुगतान हो रहा था। निधि केसरवानी की 2012 में 9200 रुपये मानदेय पर भर्ती हुई थी। वर्तमान में 22 हजार रुपये प्रतिमाह भुगतान हो रहा था। सुमन देवी की 2008 में 3200 रुपये मानदेय पर भर्ती हुई थी। वर्तमान में 5175 रुपये प्रतिमाह भुगतान हो रहा था। प्रेम कुमारी की भी 2011 में 3200 रुपये मानदेय पर भर्ती हुई थी। वर्तमान में 5175 रुपये प्रतिमाह भुगतान हो रहा था। रेखारानी की 2011 में 4500 रुपये मानदेय पर भर्ती हुई थी। वर्तमान में 6900 रुपये प्रतिमाह भुगतान हो रहा था।

“प्रकरण का कैसे हुआ राजफाश:

2020 में बागपत के बड़ौत क्षेत्र में स्थित केजीबीवी की विज्ञान शिक्षिका अनामिका शुक्ला लंबे समय से अनुपस्थित थीं। यह बात सामने आने पर उनका वेतन भुगतान रोक दिया गया। जब इसकी जांच हुई तो प्रकाश में आया कि इस नाम की महिला प्रदेश के 25 अलग-अलग कस्तूरबा गांधी आवासीय बालिका विद्यालयों में नौकरी कर रही थी और वहां से मानदेय भी ले रही थी। इसके बाद प्रदेश के सभी जिलों में तैनात कस्तूरबा गांधी आवासीय बालिका विद्यालयों के कर्मचारियों के अभिलेखों की जांच शुरू हुई।

बीएसए ने बताया कि यहां छह कर्मचारी फर्जी प्रमाण पत्र व अंकपत्र पर नौकरी करते मिले। इन सभी के खिलाफ कार्रवाई करते संबंधित खंड शिक्षा अधिकारियों से इनके मानदेय पर हुए भुगतान का विवरण मांगा गया है। उसी आधार पर रिकवरी की कार्रवाई होगी।

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