‘अफसर हैं मेहरबान तो स्कूल आने पर किसका ध्यान, बीईओ के साथ रहते हैं गुरु जी

सोनभद्र। विद्यालयों से अक्सर गायब रहने वाले शिक्षकों पर शिकंजा कसने के लिए शासन की हर कवायद को जिम्मेदार ही पलीता लगा रहे हैं। ऐसे शिक्षकों का वेतन भी हर माह निकल रहा है, जिन्होंने महीनों से स्कूल का मुंह तक नहीं देखा है। मानव संपदा पोर्टल पर अवकाश स्वीकृत कराए बिना ही वह गायब हैं। मामला घोरावल ब्लाक का है। यहां एक-दो नहीं बल्कि कई शिक्षक-शिक्षिकाएं ऐसे ही अपनी मर्जी से नौकरी कर रहे हैं। उन पर अंगुली उठाने वाला भी कोई नहीं है।

मंडलायुक्त और एडी बेसिक को भेजी गई रिपोर्ट में इसका खुलासा हुआ है। महानिदेशक स्कूल शिक्षा के पत्र के बाद 15 सितंबर को स्कूलों की जांच हुई थी। जांच अधिकारी कई स्कूलों पर गए तो वहां शिक्षकों की अनुपस्थिति के कई चौंकाने वाले मामले सामने आए। कहीं रजिस्टर में चिकित्सा अवकाश को लाल पेन से काट कर एक साथ कई दिनों के दस्तखत बनाए गए थे, तो कहीं पोर्टल पर अवकाश स्वीकृत कराए बिना शिक्षक लंबे समय से गायब मिले। मंडल कार्यालय को भेजी गई एक निरीक्षण रिपोर्ट पर गौर करें तो प्राथमिक विद्यालय बरौली (सहुआर) का उल्लेख है। यहां के उपस्थिति रजिस्टर में विद्यालय में तैनात एक शिक्षिका के वर्ष 2021 और 2022 में महीनों तक चिकित्सा अवकाश पर रहने और फिर लाल पेन से रेखांकित करते हुए उनके दस्तखत कराए गए हैं। यही नहीं मानव संपदा पोर्टल पर उपस्थिति दिखाकर वेतन भी आहरित कराया गया है। इसी तरह प्राथमिक विद्यालय जूड़ी जमगाई में तैनात एक शिक्षिका के 15 दिनों के चिकित्सा अवकाश पर होने के बावजूद न तो ऑनलाइन आवेदन किया गया और न ही उसे स्वीकृत किया गया। उनका भी पूरा वेतन जारी हुआ है। इसी ब्लाक के प्राथमिक विद्यालय भैरवां में तैनात एक शिक्षिका दिसंबर से ही चिकित्सा अवकाश पर हैं। उनकी ओर से पोर्टल पर अवकाश का दिया गया रिफरेंस नंबर फर्जी होने के बाद भी नियमित वेतन जारी हो रहा है। डोमखरी विद्यालय ब्लाक के कई अन्य स्कूलों में भी ऐसे मामले हैं। जांच अधिकारी ने पूरे मामले में संबंधित प्रधानाचार्य, बीईओ और उनके कर्मचारियों की भूमिका को संदिग्ध मानते हुए कई अन्य बड़ी गड़बड़ियों का जिक्र किया है। संबंधितों पर कार्रवाई की भी संस्तुति की है।

‘कंपोजिट ग्रांट के खर्च में भी खेल’:

परिषदीय विद्यालयों में रंग-रोगन व जरूरी सुविधाओं पर खर्च के लिए मिलने वाले कंपोजिट ग्रांट के भी खर्च में खेल सामने आया है। प्राथमिक विद्यालय डोमहर तीन वर्ष से कंपोजिट ग्रांट के तहत रंगाई-पोताई नहीं हुई है। न ही कोई सामग्री खरीद हुई हैं। जिला स्तर से भेजी गई धनराशि को खर्च कर दिया गया है। प्राथमिक विद्यालय बकौली निरीक्षण में तीन साल से स्कूल की रंगाई-पुताई नहीं हुई है। प्राथमिक विद्यालय डोमखरी में बिना रंगाई-पोताई के ही मजदूर को मजदूरी देने की बात सामने आई

मानव संपदा पोर्टल पर दर्ज होता है अवकाश:

नियम है कि चिकित्सा अवकाश, मातृ अवकाश सहित अन्य अवकाश शिक्षक की सर्विस बुक के साथ ही मानव संपदा आईडी पर दर्ज किया जाए। इससे इतर जिम्मेदारों की मिलीभगत से कई शिक्षक निर्धारित से दोगुना अवकाश लेने के बावजूद सवेतन चिकित्सा अवकाश का फायदा उठा रहे हैं।

  • बीईओ के साथ रहते हैं गुरु जी’

इसी ब्लाक के एक विद्यालय में पिछले दिनों निरीक्षण के दौरान प्रधानाध्यापक नदारद मिले। ग्रामीणों ने बताया कि वह बीईओ के ही साथ रहते हैं और गाहे-बगाहे ही विद्यालय आते हैं। प्रधानाध्यापक के बीआरसी पर बने रहने का लाभ विद्यालय के अन्य शिक्षकों को भी मिल रहा है।

इन शिकायतों की जांच कराई जा रही है। जो भी दोषी हैं, उन पर कार्रवाई करते हुए उच्चाधिकारियों को अवगत कराया जाएगा। हरिवंश कुमार, बीएसए ।

मामला संज्ञान में हैं। इस मामले में बीएसए स्तर से कार्रवाई होनी है। उन्हें पत्र के माध्यम से कार्रवाई के लिए सूचित किया जाएगा। फतेहबहादुर सिंह, एडी बेसिक


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