लखनऊ: नगर निकायों में आरक्षित पदों पर भर्ती के नाम पर होने वाली मनमानी पर लगाम लगाने की तैयारी है। अब भर्ती करने से पहले नगर निकायों को शासन को बताना होगा कि उनके निकाय में आरक्षित वर्ग के कितने पद स्वीकृत हैं और कितने भरे व कितने खाली हैं। खाली होने पर स्थिति साफ करनी होगी। स्थानीय निकाय निदेशालय ने प्रदेश के सभी नगर निकायों से सभी संवर्गों में आरक्षित व खाली पदों के बारे में पूरी रिपोर्ट मांगी है। नगर निकायों से यह भी पूछा गया है कि केंद्रीय सेवा और अकेंद्रीयत सेवा के समूह ‘ख’, ‘ग’, व ‘घ’ के कुल कितने आरक्षित पद हैं।दरअसल नगर निगम के स्तर पर होने वाली भर्तियों में तमाम प्रकार की गड़बड़ियों की लगातार शिकायत मिल रही है। खासकर आरक्षित श्रेणी के पदों पर होने वाली भर्तियों में गड़बड़ी होने की अधिक शिकायतें मिल रही हैं। इसी श्रेणी को लेकर सर्वाधिक विवाद सामने आए हैं।

इसके मद्देनजर स्थानीय निदेशालय के अवस्थापना शाखा ने सभी नगर निकायों से इस संबंध में विगत तीन वर्षों के दौरान आरक्षित श्रेणी के पदों पर हुई भर्तियों का ब्योरा उपलब्ध कराने को कहा है। इसमें पूछा गया है कि केंद्रीय सेवा और अकेंद्रीयत सेवा के  समूह ‘ख’, ‘ग’, व ‘घ’ के आरक्षित श्रेणी के कितने पद हैं और इनमें से कितने पद भरे हुए हैं और कितने पद खाली हैं। इसके साथ ही यह पूछा गया है कि आरक्षित वर्ग के पदों पर पदोन्नति की क्या स्थिति है। अगर पदोन्नतियां लटकी हुई हैं तो इसके पीछे क्या वजह है। स्थानीय निकाय निदेशालय भर्ती प्रक्त्रिस्या में पूरी पारदर्शिता चाहता है। उसका मानना है कि खाली पदों को किसी कीमत पर मनमाने तरीके से न भरा जाए। इसीलिए ऐसे पदों के बारे में पूरी जानकारी एकत्र कराई जा रही है।


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