आधार त्रुटियों में फंसी बच्चों की अपार आईडी
समस्या :आधार व स्कूल रिकार्ड मेल न खाने से बच्चों की अपार आईडी जनरेट में सबसे बड़ी समस्या बनी हुई है।
श्रावस्ती: अपार आईडी शिक्षकों से लेकर अभिभावकों के लिए सिर दर्द बन गई है। शत प्रतिशत बच्चों की अपार आईडी बनाने के लिए जहां विभाग शिक्षकों पर दबाव बना रहा है। तो वहीं आधार व स्कूल रिकार्ड मेल न खाने से बच्चों की अपार आईडी जनरेट में सबसे बड़ी समस्या बनी हुई है।
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शासन की ओर से कक्षा एक से लेकर 12वीं तक के सभी छात्र-छात्राओं का शैक्षिक विवरण आनलाइन करने के लिए अपार आईडी अनिवार्य किया है। जिसे बनाने के लिए आधार कार्ड बेहद जरूरी है। लेकिन स्कूलों में अपार आईडी बनने की गति बेहद सुस्त है। अधिकारियों की सख्ती व शिक्षकों की कोशिशों के बाद अभी तक बेसिक व माध्यमिक स्कूलों में 44-44 फीसदी बच्चों की ही अपार आईडी जनरेट हो गई है। जिले में एक हजार से अधिक परिषदीय व 125 माध्यमिक विद्यालय संचालित हैं। बेसिक स्कूलों में 49823 लक्ष्य के सापेक्ष अभी तक 21943 बच्चों की ही अपार आईडी बन पाई है। इसी तरह माध्यमिक स्कूलों में 49847 के सापेक्ष 22016 बच्चों की अपार आईडी बनी है। वन नेशन वन स्टूडेंट आईडी योजना के तहत बनाई जा रही ऑटोमेटेड परमानेंट एकेडमिक अकाउंट रजिस्ट्री अपार आईडी बनाने के लिए बच्चों व अभिभावक के आधार कार्ड की जरूरत होती है।
“जब तक आधार व स्कूल में दर्ज बच्चों का विवरण एक समान नहीं होगा तब तक आईडी जनरेट नहीं हो पाती है। अधिकतर बच्चों में यही समस्या है। किसी बच्चे का आधार गलत है तो किसी अभिभावक के नाम के अक्षर मेल नहीं खा रहे।” – पुनीत मिश्रा, संरक्षक उत्तर प्रदेश वित्तविहीन प्रबंधक संघ