अशासकीय सहायता प्राप्त जूनियर हाईस्कूलों में भर्ती के लिए 17 अक्तूबर 2021 को आयोजित की गई थी परीक्षा

प्रयागराज:-प्रदेश के अशासकीय सहायता प्राप्त जूनियर हाईस्कूलों में सहायक अध्यापकों के 1504 और प्रधानाध्यापकों के 390 पदों पर भर्ती के लिए परीक्षा की कॉपियों का मूल्यांकन दोबारा किया जाएगा। प्रमुख सचिव दीपक कुमार ने सचिव परीक्षा नियामक प्राधिकारी अनिल भूषण चतुर्वेदी को परीक्षा परिणाम का पुनर्मूल्यांकन कराते हुए संशोधित परीक्षाफल घोषित करने के आदेश दिए हैं।अशासकीय सहायता प्राप्त जूनियर हाईस्कूलों में भर्ती के लिए 17 अक्तूबर 2021 को परीक्षा आयोजित की गई थी और परीक्षा नियामक प्राधिकारी कार्यालय ने 15 नवंबर को परिणाम घोषित कर दिया था। सहायक अध्यापक भर्ती परीक्षा में शामिल 271066 अभ्यर्थियों में से 45257 और प्रधानाध्यापक भर्ती परीक्षा में शामिल 14928 अभ्यर्थियों में से 1722 अभ्यर्थी सफल घोषित किए गए थे। अनारक्षित वर्ग में 65 प्रतिशत और आरक्षित वर्ग में 60 प्रतिशत अंक पाने वाले अभ्यर्थियों को सफल घोषित किया गया था।चयन परिणाम आने के बाद कुछ अभ्यर्थियों ने कम अंक मिलने का दावा करते हुए हाईकोर्ट में याचिकाएं दाखिल कर दीं थीं। हाईकोर्ट के आदेश पर शासन ने 12 अप्रैल को एक समिति का गठन करते हुए आपत्तियों की जांच कराई तो 571 शिकायतों में से 132 सही पाई गईं। इसकी रिपोर्ट भेजते हुए परीक्षा नियामक प्राधिकारी कार्यालय ने शासन से मार्गदर्शन मांगा था। अब प्रमुख सचिव दीपक कुमार ने आंतरिक समिति का गठन करते हुए संपूर्ण परीक्षा परिणाम का पुनर्मूल्यांकन कराने और संशोधित परीक्षाफल घोषित करने के निर्देश दिए हैं।

कंप्यूटर से स्कैन होने के बावजूद कम अंक मिलने की शिकायत

इस आदेश के बाद परीक्षा कराने वाली एजेंसी की कार्यप्रणाली पर सवाल उठ रहे हैं। परीक्षा ओएमआर शीट पर कराई गई थी। ओएमआर में दिए गए उत्तरों का मूल्यांकन सीधे कंप्यूटर स्कैनर से होता है, इसके बावजूद अभ्यर्थियों को कम अंक दिए जाने की शिकायत सही पाई गई है। फिलहाल शासन ने ओएमआर शीट का पुनर्मूल्यांकन कराके नए सिरे से परिणाम जारी करने के आदेश दिए हैं। इस मामलें में परीक्षा कराने वाली एजेंसी के खिलाफ भी कार्रवाई की जा सकती है।

पहले भी शिक्षक भर्ती में हो चुकी है गड़बड़ी

परीक्षा नियामक प्राधिकारी कार्यालय की परीक्षाओं में पहले भी गड़बड़ी के मामले सामने आए हैं। 68500 सहायक अध्यापक भर्ती परीक्षा गड़बड़ी की शिकायतें आईं थी। जांच में पता चला था कि दो अभ्यर्थियों को बिना परीक्षा दिए पास कर दिया गया और 21 अभ्यर्थियों को फेल होने के बाद पास कर दिया गया। इस मामले में तत्कालीन सचिव डॉ. सुत्ता सिंह को निलंबित भी कर दिया गया था। इसके अलावा एक अभ्यर्थी की कॉपी बदले जाने और एक अन्य अभ्यर्थी के अंक बढ़ाए जाने का मामला भी सामने आया था।


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