शिक्षकों पर प्रशासन की बड़ी कार्रवाई, स्कूलों से नदारत रहे 117 शिक्षकों का कटा वेतन
गोरखपुर:- बेसिक शिक्षा विभाग की तमाम कोशिशों के बाद भी परिषदीय विद्यालयों में शिक्षकों की उपस्थिति में सुधार नहीं हो पा रहा है। अक्टूबर नवंबर माह में हुए निरीक्षण में 117 से अधिक शिक्षकों अनाधिकृत रुप से स्कूल में अनुपस्थित मिले हैं। इसे गंभीरता से लेते हुए बीएसए ने शिक्षकों अनुपस्थित दिन के वेतन कटौती की कारवाई की है। साथ ही कहा है कि विद्यालय में अनुपस्थित होना अनुशासनहीनता है। ऐसे शिक्षको को किसी भी कीमत पर बख्शा नहीं जाएगा। जिन शिक्षकों के विरुद्ध कार्रवाई की गई है उनमें प्रधानाध्यापक, सहायक अध्यापक, शिक्षामित्र, अनुदेशक शामिल हैं।
औचक निरिक्षण में माह अक्टूबर-नवम्बर में अनाधिकृत रूप से अनुपस्थित मिले शिक्षक
बीएसए के निर्देश पर खण्ड शिक्षा अधिकारियों व जिला समन्वयकों ने 21 अक्टूबर से 18 नवंबर के बीच विद्यालयों का औचक निरिक्षण किया था। इस दौरान खोराबार ,पिपराइच, गोला, पिपरौली चरगांवा,सरदानगर, बांसगांव, पाली, जंगल, कौड़िया गगहा, उरुआ, सहजनवा, कैंपियरगंज, भरोहिया तथा नगर क्षेत्र के विद्यालयों में 9 दर्जन से भी अधिक शिक्षक अनुपस्थित मिले। स्कूल में न तो उन्होंने कोई सूचना दी थी और न ही ऑनलाइन अवकाश के लिए आवेदन किया था। कई शिक्षक तो ऐसे हैं जो अक्सर बिना किसी सूचना के स्कूल से अनुपस्थित रहते हैं। निरीक्षण होने पर ही उनके विरुद्ध कार्रवाई होती है बीएसए ने मांगा स्पष्टीकरण निरीक्षण में गैरहाजिर मिले शिक्षकों का अनुपस्थित दिन का वेतन काटने के साथ बीएसए ने सभी से तत्काल स्पष्टीकरण मांगा है।
“जिन 117 शिक्षकों के विरुद्ध वेतन कटौती की कार्रवाई की गई है। यह सभी निरीक्षण के दौरान अनाधिकृत रूप से विद्यालय से अनुपस्थित मिले थे। बिना किसी सूचना के विद्यालय से अनुपस्थित रहना अनुशासनहीनता है तथा यह आचरण कर्मचारी शिक्षक नियमावली के विरुद्ध है ऐसे शिक्षकों के विरुद्ध आगे भी अभियान चलाकर कार्रवाई की जाएगी।”- रमेंद्र कुमार सिंह बीएसए
बिना अवकाश विद्यालयों से नदारद रहे 117 शिक्षक
जनपद में कई शिक्षक ऐसे हैं जो अक्सर बिना किसी सूचना के विद्यालय से अनुपस्थित रहते हैं या फिर विलंब से पहुंचते हैं। औचक निरीक्षण में अनुपस्थित मिलते हैं तो कार्रवाई के नाम पर यह तो उनसे स्पष्टीकरण मांग लिया जाता है या फिर 1 दिन का वेतन कटौती का कोरम पूरा कर लिया जाता है। इसके बाद फिर स्थिति जस की तस हो जाती है यही वजह है कि विभाग के जिम्मेदार स्कूलों में शिक्षकों के शत-प्रतिशत उपस्थिति सुनिश्चित कराने में असफल है।