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10 दिव्यांग बच्चों पर रखना होगा एक विशेष शिक्षक, 15 उच्च प्राथमिक बच्चों पर एक विशेष शिक्षक, 5 किमी में चार स्कूलों का क्लस्टर, रखेंगे एक शिक्षक।


15 उच्च प्राथमिक बच्चों पर एक विशेष शिक्षक

5 किमी में चार स्कूलों का क्लस्टर, रखेंगे एक शिक्षक।

स्कूलों में बच्चों की संख्या कम होने पर बनेगा क्लस्टर। केंद्र सरकार की ओर से जारी की गई अधिसूचना

प्रयागराज । सरकारी प्राथमिक स्कूलों में दस दिव्यांग बच्चों का नामांकन होने पर एक विशेष शिक्षक ( स्पेशल एजुकेटर ) रखे जाएंगे । इसी प्रकार छठी से आठवीं कक्षा तक 15 दिव्यांग बच्चों के लिए एक शिक्षक का प्रावधान किया गया है । निःशुल्क और अनिवार्य बाल शिक्षा का अधिकार अधिनियम ( आरटीई ) 2009 में प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए केंद्र सरकार ने अधिसूचना जारी की है , जो कि सभी राज्यों पर समान रूप से लागू होगी ।

21 सितंबर को जारी अधिसूचना के अनुसार प्राथमिक या उच्च प्राथमिक स्तर पर किसी स्कूल में क्रमश : दस या 15 दिव्यांग बच्चे न होने की स्थिति में अधिकतम चार स्कूलों का क्लस्टर बनाकर तदर्थ या विशेष उपबंध के अधीन भ्रमणकारी विशेष शिक्षक रखे जा सकेंगे । लेकिन शर्त यह है कि किन्हीं दो स्कूलों के बीच दूरी पांच किमी अधिक नहीं होनी चाहिए । ताकि विशेष शिक्षक को प्रत्येक स्कूल स्तर पर आवश्यक कार्यकलाप करने के लिए अपेक्षित समय मिल सके । बीएड विशेष शिक्षा प्रशिक्षण करने वाले विजय पाल ने 21 सितंबर को जारी गाइडलाइन के अनुसार परिषदीय स्कूलों में दिव्यांग बच्चों के लिए विशेष शिक्षक रखने का अनुरोध किया है

प्रदेश में 2,84,809 दिव्यांग बच्चे:

उत्तर प्रदेश में 2,84,809 दिव्यांग बच्चे चिह्नित हैं । इनके लिए समेकित शिक्षा के तहत विभिन्न कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं । जिलों में विशेष कैंप में पढ़ाई कराई जाती है । 2022-23 सत्र के लिए हुई प्रोजेक्ट अप्रूवल बोर्ड की बैठक में विशेष आवश्यकता वाले बच्चों के लिए समेकित शिक्षा का समग्र प्लान बनाने के निर्देश दिए गए हैं ।

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