प्रयागराज:-इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 69000 शिक्षक भर्ती मामले में सचिव परीक्षा नियामक प्राधिकारी से जानकारी मांगी है। हाईकोर्ट ने पूछा है कि जब विशेष याचिका पर 2 जजों की खंडपीठ ने आदेश पारित कर दिया है तो उसका अनुपालन क्यों नहीं किया गया। कोर्ट ने मामले में सुनवाई के लिए 7 मार्च 2022 की तिथि निर्धारित की है यह आदेश न्यायमूर्ति रोहित रंजन अग्रवाल की खंडपीठ ने उपेंद्र कुमार दयाल की याचिका पर सुनवाई करते हुए दिया।

हाई कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि कोर्ट ने जब अपने आदेश में यह साफ कहा है कि 69000 शिक्षक भर्ती परीक्षा में शामिल सभी अभ्यर्थियों का एक अंक बढ़ा दिया जाए तो केवल उन्हीं अभ्यर्थियों को केवल उन्हीं को क्यों दिया गया जिन्होंने याचिका दाखिल की थी। अवमानना याचिका में याचिका तर्क है कि वह अनुसूचित वर्ग का अभ्यर्थी था और हाईकोर्ट की ओर से पारित विशेष याचिका में वह दूसरे नंबर का याची था। उसने हाईकोर्ट के आदेश को परीक्षा नियामक प्राधिकारी के समक्ष प्रस्तुत किया और एक अंक बढ़ाने की मांग की। लेकिन परीक्षा नियामक ने उनके परीक्षा परिणाम में 1 अंक नहीं बढ़ाया। याची ने अधिवक्ता राहुल कुमार मिश्रा ने तर्क दिया कि वह भर्ती परीक्षा में 89 अंक हासिल किया है। एक अंक मिलने के बाद वह चयनित सूची में शामिल हो जाएगा।

हाई कोर्ट ने मामले में सचिव परीक्षा नियामक प्राधिकारी से जानकारी मांगी है। कोर्ट ने मामले की सुनवाई के लिए 7 मार्च की तिथि निर्धारित की है। भर्ती परीक्षा की उत्तर कुंजी जारी होने के बाद दाखिल हुई थी विशेष याचिका सहायक अध्यापक 69000 भर्ती परीक्षा की उत्तर कुंजी जारी होने के बाद परीक्षा में शामिल अभ्यर्थियों ने हाईकोर्ट इलाहाबाद और लखनऊ दोनों खंडपीठ में 700 अभ्यर्थियों की ओर से विशेष याचिका दाखिल की गई थी। अभ्यर्थियों ने पांच सवालों को चुनौती दी थी उनका तर्क था कि भर्ती परीक्षा नियामक में 5 सवाल गलत पहुंचे हैं और उत्तर माला भी गलत जारी की है। सुनवाई के बाद हाईकोर्ट ने केवल एक सवाल को गलत पाया और परीक्षा में शामिल सभी अभ्यर्थियों को एक अंक बढ़ाने का आदेश दिया लेकिन परीक्षा नियामक ने अभी तक अभ्यर्थियों के अंक नहीं बढ़ाए हैं। अभ्यर्थियों की ओर से इस मामले में लगातार प्रदर्शन हो रहा है। चुनाव के मद्देनजर आचार संहिता लागू हो गई है तो अभ्यर्थियों ने हाईकोर्ट में अवमानना याचिका दायर की है।


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