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69000 शिक्षक भर्ती: एक गलत प्रश्न से नौकरी का रास्ता साफ, अभ्यर्थियों ने ली थी कोर्ट की शरण


69000 शिक्षक भर्ती: एक गलत प्रश्न से नौकरी का रास्ता साफ, अभ्यर्थियों ने ली थी कोर्ट की शरण

इटावा। सुप्रीम कोर्ट ने 69000 शिक्षकों की भर्ती से जुड़े करीब एक हजार अभ्यर्थियों को बड़ी राहत दी है। एक गलत प्रश्न ने इनकी नौकरी का रास्ता साफ कर दिया है। कोर्ट ने गलत प्रश्न का नंबर अभ्यर्थियों को देने का आदेश देते हुए सरकार की विशेष अनुमति याचिका (एसएलपी) को खारिज कर दिया है। इसी के साथ सुप्रीम कोर्ट इलाहाबाद हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच के 25 अगस्त 2021 के आदेश को बहाल कर दिया। इससे इस प्रक्रिया में शामिल होने वाले अभ्यर्थियों में खुशी की लहर है। अभ्यर्थियों ने सरकार से जल्द नियुक्ति देने की गुहार लगाई है।

छह जनवरी 2019 को 69000 शिक्षकों की भर्ती के लिए परीक्षा हुई थी। आठ जनवरी को आंसर सीट ऑनलाइन की गई तो असंतुष्ट अभ्यर्थियों ने परीक्षा में पूछे छह प्रश्नों को हाईकोर्ट में चुनौती दे दी थी। इनमें एक प्रश्न ऐसा था जिसके चारों विकल्प गलत थे। हाईकोर्ट ने पांच प्रश्नों पर हस्तक्षेप करने से मना कर दिया था, जबकि एक प्रश्न जिसके चारों विकल्प गलत थे, उस पर अभ्यर्थियों को नंबर देने के आदेश दिए थे। इसमें कोर्ट द्वारा यह शर्त भी लगाई गई थी कि यह नंबर उन अभ्यर्थियों को दिया जाएगा, जिन्होंने कोर्ट में याचिका दायर की है और एक नंबर से फेल हो गए हैं। हाईकोर्ट के फैसले से नाखुश यूपी सरकार ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था और अब वहां से भी अभ्यर्थियों की जीत हुई है। इस फैसले से पूरे प्रदेश के एक हजार से अधिक अभ्यर्थियों के शिक्षक बनने की राह खुल गई है। इनमें जनपद इटावा से भी एक दर्जन से अधिक अभ्यर्थी शिक्षक बन जाएंगे।

एक नंबर से पास होने से रह गए थे

शिक्षक भर्ती परीक्षा में सफल होने के लिए सामान्य श्रेणी के अभ्यर्थियों को 150 में 97 और ओबीसी व एससी श्रेणी के अभ्यर्थियों को 90 अंकों की जरूरत थी। कई परीक्षार्थी एक नंबर से परीक्षा पास करने से रह गए। जब आंसर सीट ऑनलाइन की गई, तो पता चला कि एक प्रश्न के चारों विकल्प गलत थे। इसी को आधार बनाकर यह अभ्यर्थी कोर्ट चले गए, जहां से उन्हें जीत मिली।

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