लखनऊ:-हाई कोर्ट की लखनऊ खंडपीठ ने सहायक अध्यापक भर्ती में आरक्षित वर्ग के 6800 से पदों पर होने जा रही भर्ती पर रोक लगा दी है। कोर्ट ने कहा है कि 1 दिसंबर 2018 को जारी विज्ञापन जारी किया था। इससे अधिक एक भी पद एक बिना विज्ञापन जारी किए भर्ती न की जाए। यह आदेश न्यायमूर्ति राजन राय की एकल पीठ में भारती पटेल और 5 अन्य अभ्यर्थियों की याचिका पर पारित किया।
कोर्ट ने अपनी टिप्पणी में यह भी कहा कि इस मामले में क्या करना है यह राज्य सरकार तय करें क्योंकि उसी ने यह स्थिति पैदा की है। लेकिन यह स्पष्ट है कि उक्त विज्ञापन के क्रम में 1 दिसंबर 2018 को विज्ञापन प्रकाशित किया गया था इस भर्ती प्रक्रिया के पूरे होने के बाद आरक्षित वर्ग के कई अभ्यर्थियों ने विरोध शुरू कर दिया था उनका कहना था कि उन्हें मिले अंक सामान्य श्रेणी के कटऑफ से अधिक हैं। इसके बावजूद उन्हें न चुनकर उन से कम अंक पाए अभ्यर्थियों का चयन कर लिया गया है। कोर्ट के समक्ष सरकार की ओर से पेश अधिवक्ता राघवेंद्र सिंह का कहना है कि सरकार ने मामले पर फिर विचार के बाद 6800 अभ्यर्थियों के नाम वाली अतिरिक्त चयन सूची जारी करने का निर्णय लिया है। जो आरक्षित श्रेणी के लिए है।
जवाब से संतुष्ट नहीं कर सके सरकारी अधिवक्ता
5 जनवरी और 25 जनवरी को जारी नई चयन सूची के अभ्यर्थियों ने आरक्षित श्रेणी के कटऑफ से अधिक अंक प्राप्त किए हैं म। हालांकि कोर्ट ने पूछा कि 69000 पद पहले ही भरे जा चुके हैं तो इन 6800 अभ्यर्थियों को किस पद पर नियुक्ति दी जाएगी। इस पर महाधिवक्ता न्यायालय को अपने जवाब से संतुष्ट नहीं कर सके। नई सूची से जगह पाए कुछ अभ्यर्थियों की ओर से दलील दी गई कि अधिक अंक अर्जित करने के कारण नई सूची के अभ्यर्थियों को नियुक्ति दी जानी चाहिए और उनकी जगह पहले से नियुक्ति पाए अभ्यर्थियों को हटा दिया जाना चाहिए।