जेब से रुपये खर्च कर काम कराने के बाद बजट का इंतजार कर प्रधानाध्यापक।

सर्व शिक्षा परियोजना से परिषदीय स्कूलों में 17 बिंदुओं पर खर्च मिलती है धनराशि।

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जौनपुर:- 1140 परिषदीय विद्यालयों के कंपोजिट ग्रंट की पांच करोड़ धनराशि खते में नहीं पहुंची है । प्रधानाध्यापक अपने जेब से रुपये खर्च कर काम कराने के बाद विभाग का चक्कर काट रहे हैं । सरकार के खाते में डंप धनराशि बेसिक शिक्षा विभाग वापस नहीं मंग पा रहा है

सर्व शिक्षा परियोजना विभाग से परिषदीय स्कूलों में 17 बिंदुओं पर खर्च के लिए छात्र संख्या के हिसब से प्रत्येक विद्यालयों को बीस से लेकर पचास हजार रुपये प्रतिवर्ष दिए जाते हैं । इस धनराशि से प्रधानाध्यापक विद्यालय की रंगाई पोताई चार्ट , टाट – पट्टी , चटाई रेडियो कार्यक्रम , मीना मंच , इंटरनेट बिल , विद्युत उपकरण बागवान समग्र शिक्षक सहायक सामग्री के साथ ही बच्चों के उत्साहवर्धन के लिए पुरस्कार वितरण सामग्री आदि की व्यवस्था करते हैं । शिक्षण सत्र 2021-22 में शासन स्तर से कंपोजिट ग्रांट को धनराशि भेजी गई ऐसे में 1608 विद्यालयों में विभाग ने धनराशि भेज दी , लेकिन 1140 विद्यालयों के खाते में पैस नहीं आया ।

बैंक आफ बौदा मे खाता न खुलने के कारण धनराशि वापस चली गई है । उसे पुनः मगाने के लिए कई बार पत्र लिखा गया , लेकिन अभी तक धनराशि आ नहीं सकी है ।” -डाक्टर गोरखनाथ पटेल जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी जौनपुर

बजट आने की जानकारी होने पर कई विद्यालयों के प्रधानाध्यापकों ने आवश्यकता के अनुसार कार्य कराने के साथ ही समग्र को खरीद कर लिया । कई माह बीतने के बाद भी जब पैसा नहीं आया तो उन लोगों ने विभाग से संपर्क किया । बताया कि सर्व शिक्षा अभियान के निर्देशक का आदेश है कि बैंक आफ बड़ौद जिस विद्यालय का खाता है उसी धनराशि भेजी जाए । उस आदेश का पालन करते हुए धनराशि नहीं भेजी जा सकती । वित्तीय वर्ष समाप्त होने पर पैस वापस सरकार के खाते में भेज दिया गया । अब खाता खुलने के बाद वापस भेजी गई धनराशि मंगाने लिए जिला बेसिक शिक्षा विभाग कई बार पत्र लिख , लेकिन अभी तक कोई सार्थक परिणाम नहीं निकला । स्कूलों की रंगाई – पौताई टाट पट्टी सहित कई आवश्यक सामानों की खरीद करने वाले कई प्रधानाचार्य बजट की उम्मीद में काम कराकर कर्जदार बने हैं ।

प्राथमिक शिक्षक संघ जिलाध्यक्ष अमित कुमार सिंह ने कहा कि विद्यालय में आए दिन स्टेशनरी व अन्य सामग्रियों को आवश्यकता होती है । इसके अलावा रंगाई – पोताई आदि में हजारों रुपये खर्च करने पड़ते हैं । सहायक वित्त एवं लेखाधिकारी की लापरवाही से पिछले साल के 1140 विद्यालयों के खाते में कंपोजिट ग्रांट की धनराशि नहीं पहुंची । उस समय कहा गया कि बैंक ऑफ बड़ौदा में खाता नहीं इसलिए धनराशि नहीं भेजी जा रही है । अब कहा जा रहा है कि सरकार के रखते में धनराशि पड़ी है । वापस भेजने के लिए कई बार पत्र लिखा गया है । प्रधानाध्यापक जेब से पैस खर्च करके बजट का इंतजार कर रहे हैं ।

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