बेसिक शिक्षा व माध्यमिक शिक्षा विभाग

150 परिषदीय स्कूलों को नहीं मिली द्वितीय किश्त


150 परिषदीय स्कूलों को नहीं मिली द्वितीय किश्त

सिद्धार्थनगर:- जिले के 200 परिषदीय स्कूलों को कायाकल्प के जरिए आकर्षित बनाने के बाद परिसर में पड़ी खाली भूमि पर किचन गार्डेन तैयार किया गया है। चयनित स्कूलों के खाते में प्रथम किश्त के रूप में पांच-पांच हजार भेजा जा चुका है। अब बारी द्वितीय किश्त की आई तो शासन से सिर्फ 50 स्कूलों को पांच-पांच हजार रुपये दिए। लिहाजा डेढ़ सौ स्कूलों के किचन गार्डेन कहीं मुरझा न जाए। इस स्थित से मिड-डे-मील में तैयार होने वाले भोजन में ताजी व पोषक युक्त सब्जी मिलने में भी दुश्वारियां खड़ी हो गई हैं। शासन ने मध्याह्न भोजन योजना के तहत स्कूल में खाली पड़ी भूमि पर स्कूल न्यूट्रिशन गार्डेन ( किचन गार्डेन) तैयार करने की योजना बना रखी है।

पहले चरण में जनपद के 200 प्राथमिक स्कूलों में गार्डेन तैयार करने के लिए पर्याप्त भूमि वाले स्कूल चिह्नित किए। इनके खातों में पांच-पांच हजार रुपये प्रति स्कूल की दर से प्रथम किश्त के रूप में अंतरित किया गया। हाल के दिनों में शासन स्तर से किचन गार्डेन के लिए द्वितीय किश्त के रूप में पांच-पांच हजार रुपये सिर्फ 50 स्कूलों के लिए भेजा है। ऐसे में 150 स्कूलों को द्वितीय किश्त की धनराशि नहीं मिल सकी। लिहाजा स्कूलों में किचन गार्डेन तैयार कर स्कूलों को हरा-भरा बनाते हुए बच्चों को बेहतर शिक्षा के साथ पोषक देकर उनके स्वास्थ्य को भी बेहतर बनाने में सहयोग करने की मंशा विफल होती दिख रही है। युक्त भोजन

“ब्लॉकवार स्कूल”

मध्याह्न भोजन के तहत द्वितीय चरण में जिन स्कूलों को पांच-पांच हजार रुपये भेजे गए हैं, उनमें खुनियांव में कपिया, महुआ पाठक, सिरसिया, हरैया द्वितीय, खेसरहा में बौड़िहार, बेलहरी, बेलवा लगुनही, नासिरगंज, शोहरतगढ़ में मकड़ौर, महदवा मौलवी, मदरहना खास, मदरहना रामनगर, इटवा में इंद्रीग्रांट, मुरौलीडीह, सैनी, महादेव, बढ़नी के खैरहनिया, दुधवनिया बुजुर्ग, गोल्हौरा आदि शामिल है।

“दो सौ स्कूलों में किचन गार्डेन तैयार कराया गया है। प्रथम किश्त में सभी को पांच-पांच हजार व द्वितीय किश्त में शासन से प्राप्त बजट की उपलबधता के आधार पर 50 स्कूलों को पांच-पांच हजार भेजा गया है। किचन गार्डेन की नियमित निगरानी नोडल अफसरों से कराई जा रही है। स्कूल में हरी पोषक युक्त सब्जियों का उत्पादन करने के साथ ही परिसर को फूलों के उत्पादन से आकर्षित करने का निर्देश दिया है।”-धर्म प्रकाश श्रीवास्तव, जिला समन्वयक एमडीएम

उगाई जा रहीं यह सब्जियां

किचन गार्डेन तैयार करने व सुरक्षित रखने के लिए पौधे गमले में लगाने के साथ खाली पड़ी भूमि पर क्यारी बनाकर लगाए गए हैं। मां समूह के साथ बच्चों को सुपुर्द करते हुए उनकी देख-रेख की जिम्मेदारी सौंपी गई है। जायद सीजन में भिंडी, पालक, लोबिया, लौकी, करेला, खीरा, कद्दू, तरबूज, खरबूजा, बैंगन, चुकंदर, शलजम, गाजर व मूली तो खरीफ सीजन में चौलाई, भिंडी, बैगन, करेला, लोबिया, तुरई, कद्दू, लौकी, प्याज व सेम की खेती की जा रही है। रबी सीजन में टमाटर, मटर, मिर्च, फूलगोबी, पत्तागोभी, पालक, मेथी, सोया, धनिया, शिमला मिर्च, बैंगन, प्याज, लहसुन, गाजर व मूली का उत्पादन किया जा रहा है।


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