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₹10 लाख हो सकता है ओबीसी क्रीमीलेयर का दायरा, आरक्षण को लेकर सभी राज्यों में एकरूपता नहीं


₹10 लाख हो सकता है ओबीसी क्रीमीलेयर का दायरा, आरक्षण को लेकर सभी राज्यों में एकरूपता नहीं

नई दिल्ली। एक तरफ जहां एसटी एसटी के लिए प्रोन्नति में आरक्षण को लेकर सरकार पैर जमाए खड़ी है वहीं ओबीसी आरक्षण के लिए क्रीमीलेयर के दायरे को बढ़ाने की तैयारी भी हो रही है। इसके तहत आठ लाख रुपये आय की दायरा बढ़ाकर दस लाख तक किया जा सकता है। वैसे भी इस दायरे को प्रत्येक तीन साल में बढ़ाने का प्राविधान है। इससे पहले इस दायरे में बढ़ोत्तरी वर्ष 2017 में की गई थी। तब इसे छह लाख से बढ़ाकर आठ लाख किया गया था।सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय ने यह पहल तब शुरू की है, जब ओबीसी उपवर्गीकरण का काम भी लगभग पूरा हो गया है। इसे लेकर काम रहे आयोग ने जल्द ही अपनी रिपोर्ट पेश करने के संकेत दिए है।

इससे पहले हाल ही में मंत्रालय ने संसद को भी ओबीसी क्रीमीलेयर में बढ़ोत्तरी से जुड़े पहलू को विचाराधीन बताया था। सूत्रों की मानें तो इसे लेकर उच्च स्तरीय कमेटी गठित कर दी गई है।जिसमें सुप्रीम कोर्ट के उन दिशा-निर्देशों का भी ध्यान रखा गया है, जिसमें कोर्ट ने कहा था कि क्रीमीलेयर का निर्धारण सिर्फ आर्थिक आधार पर नहीं हो सकता है। इस दौरान सामाजिक, आर्थिक सहित बाकी पहलुओं पर ध्यान देने की जरूरत है। माना जा रहा है कि ओबीसी उप वर्गीकरण के साथ ही क्रीमीलेयर की नई सीमा तय की जा सकती है।बता दें कि ओबीसी उप वर्गीकरण पर काम कर रहे आयोग का कार्यकाल अभी 31 जुलाई 2022 तक है। दूसरी तरफ यह पहलू रोचक है कि ऐसे कई राज्य है, जहां ओबीसी को तय 27 प्रतिशत आरक्षण नहीं मिलता है। इनमें फिलहाल छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश,पंजाब, राजस्थान व झारखंड जैसे करीब 11 राज्य और केंद्र शासित प्रदेश शामिल है। पंजाब में ओबीसी को सबसे कम सिर्फ 12 प्रतिशत ही आरक्षण दिया जाता है। इनमें शामिल बाकी राज्यों की कमोबेश ऐसी ही स्थिति है।ओबीसी आरक्षण पर ही बिहार,तमिलनाडु सहित देश के सात ऐसे राज्य और केंद्र शासित प्रदेश है, जहां स्थिति ठीक उलट है। इन राज्यों में ओबीसी को आरक्षण तय 27 प्रतिशत से ज्यादा दिया जा रहा है। बिहार में ओबीसी को सरकारी नौकरियों में 33प्रतिशत आरक्षण का लाभ दिया जा रहा है, वहीं तमिलनाडु में 50 प्रतिशत, केरल में 40 प्रतिशत, आंध्र प्रदेश में 29 प्रतिशत, कर्नाटक में 32 प्रतिशत तक दिया जा रहा है।हालांकि इन सब के बीच उत्तर प्रदेश, असम, दिल्ली, गोवा, गुजरात, हरियाणा और ओडिशा सहित करीब दस राज्य व केंद्र शासित प्रदेश ऐसे है जहां तय 27 प्रतिशत का ही मानक लागू है। ओबीसी आरक्षण को लेकर ज्यादातर राज्यों में यह अलग-अलग फार्मूला उस समय लागू है, जब इसे अमल का अधिकार राज्यों के पास ही है। ऐसे में राज्य अपने तरीके से इसे लागू किए हुए है।

हालांकि हाल ही में संसद में इस मुद्दे के उठने के बाद केंद्र सरकार की ओर से सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय ने इसे लेकर एक रिपोर्ट संसद की दी है, जिसमें राज्यों में ओबीसी आरक्षण की पूरी स्थिति रखी है। मंत्रालय का कहना है कि केंद्र के सभी विभागों में ओबीसी के लिए तय 27 प्रतिशत आरक्षण लागू है।


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