लखनऊ:- स्नातक स्तर पर सत्र 2021-22 से लागू राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तहत विद्यार्थियों को कई तरह की सहूलियतें भी दी गई हैं। तीन वर्ष के स्नातक पाठ्यक्रम के किसी भी एक वर्ष को पूरा करने की अधिकतम अवधि तीन वर्ष होगी। इस तरह किसी विद्यार्थी को स्नातक पाठ्यक्रम पूरा करने के लिए अधिकतम नौ वर्ष मिलेंगे।प्रदेश के विश्वविद्यालय व महाविद्यालयों में बीए, बीएससी व बीकॉम में ग्रेडिंग प्रणाली लागू करने के संबंध में जारी शासनादेश में कई तरह के बदलावों को शामिल किया गया है। इसमें कहा गया है कि यदि कोई विद्यार्थी सततता में तीन वर्षों की पढ़ाई करता है तो उसे अधिकतम नौ वर्ष मिलेंगे। यदि विद्यार्थी किसी एक वर्ष का सर्टिफिकेट या डिप्लोमा लेकर चला जाता है तो वह बाकी के वर्षों की पढ़ाई दोबारा शुरू करने के लिए कभी भी वापस आ सकता है तथा उसे आगे के वर्षों की पढ़ाई पूरा करने के लिए तीन वर्ष (प्रति एक वर्ष की पढ़ाई) के मिलेंगे।

आंतरिक परीक्षा में बैकपेपर की सुविधा नहीं

शासनादेश में व्यवस्था दी गई है कि आतंरिक परीक्षा में बैकपेपर या इम्प्रूवमेंट की परीक्षा नहीं होगी। केवल पूर्ण सेमेस्टर को बैकपेपर के रूप में दोबारा ने की स्थिति में विश्वविद्यालय परीक्षा के साथ आंतरिक मूल्यांकन भी किया जा सकता है। हालांकि एक विद्यार्थी दो पूर्ण सेमेस्टर्स की संपूर्ण परीक्षाएं एक साथ नहीं दे सकेगा। विद्यार्थी को सम सेमेस्टर का बैकपेपर सम सेमेस्टर और विषम सेमेस्टर का बैकपेपर विषम सेमेस्टर में ही देने की सुविधा मिलेगा।


Leave a Reply