यूपी : 13 जिलों में नायक जाति को अनुसूचित जनजातिका प्रमाण पत्र मिलेगा

गोरखपुर: गोरखपुर समेत उत्तर प्रदेश के 13 जिलों में अनुसूचित जनजाति में अधिसूचित नायक समुदाय को जाति प्रमाण पत्र प्राप्त करने में आ रही बाधा खत्म हो गई है। अब इनके पुराने राजस्व अभिलेखों का परीक्षण कर जनजाति का प्रमाण पत्र जारी होगा।भूमिहीन होने पर कुटुंब रजिस्टर की नकल, स्कूल की टीसी और आसपास के परिवारों से मौके पर पूछताछ के बाद एसटी के प्रमाण पत्र जारी होंगे। नायक जनसेवा संस्थान गोरखपुर की तरफ से दायर जनहित याचिका पर इलाहाबाद हाईकोर्ट से मिले दिशा निर्देश पर 24 सितंबर को प्रमुख सचिव समाज कल्याण ने गोरखपुर समेत 13 जिलों के जिलाधिकारियों को इसके लिए आदेश जारी किया है।जनजाति का प्रमाण हासिल करने की लड़ाई लड़ने वाले नायक जनसेवा संस्थान गोरखपुर के अध्यक्ष योगेंद्र प्रसाद नायक ने शासन के इस आदेश का स्वागत किया है। उन्होंने कहा है कि हमारे अनुसूचित जनजाति (एसटी) के प्रमाण पत्र के लिए पुराने से पुराने राजस्व अभिलेखों से मिलान किया जाए ताकि सही लोगों को ही प्रमाण पत्र मिले।




जनवरी 2003 में मिला था अधिकार:-

8 जनवरी 2003 को भारत सरकार के गजट में उत्तर प्रदेश के गोरखपुर, देवरिया, महराजगंज, बस्ती, सिद्धार्थनगर, मऊ, आजमगढ़, जौनपुर, बलिया, गाजीपुर, वाराणसी, मिर्जापुर व सोनभद्र जनपद में नायक को अनुसूचित जनजाति में अधिसूचित किया। तब से इन जनपदों में रहने वाले नायक समुदाय के लोगों को एसटी प्रमाण पत्र निर्गत होने लगे। बाद के वर्षो में परम्परागत नायक जनजाति के अलावा दूसरी जातियों के लोग भी जाति शीर्षक में नायक शब्द का इस्तेमाल करने लगे। कुछ लोगों के फर्जी प्रमाण पत्र बनवाने की शिकायतें हुइॅ। 

15 जुलाई को बदल गई परिभाषा:-

15 जुलाई 2020 को प्रदेश शासन के अपर मुख्य सचिव समाज कल्याण ने नायक समुदाय के लिए एसटी प्रमाण पत्र जारी करने के संबंध में नायक की जाति निर्धारित करने की नई व्यवस्था का आदेश जारी किया। शासनादेश में कहा गया कि गोरखपुर समेत 13 जिलों में ‘गोंड की पर्याय/उपजाति नायक’ ही अनुसूचित जनजाति का प्रमाण पत्र प्राप्त करने के पात्र है। राज्य सरकार ने गजट अधिसूचना से इतर नायक की जाति के लिए नई परिभाषा या व्यवस्था तय कर दी जिससे प्रमाण पत्र मिलना नामुमकिन हो गया। 

अदालत पहुंचा जनसेवा संस्थान:-

योगेंद्र प्रसाद नायक बताते हैं कि नायक जनसेवा संस्थान गोरखपुर ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर कर दी। सुप्रीम कोर्ट में स्टेट ऑफ महाराष्ट्र बनाम मिलिंद व अन्य (2001) के मामले में शीर्ष अदालत द्वारा दिए गए आदेश का स्मरण कराया गया। जिसमें कहा गया कि राज्य सरकार को भारत सरकार के गजट अधिसूचना में किसी तरह की व्याख्या का अधिकार नहीं है। बताया कि 15 जुलाई 2020 के शासनादेश से राज्य सरकार ने नायक को गजट से परे गोंड की उपजाति या पर्याय के रूप में वर्गीकृत किया है। इलाहाबाद उच्च न्यायालय के कार्यकारी मुख्य न्यायाधीश मुनीश्वर नाथ भंडारी व जस्टिस राजेंद्र कुमार की खंडपीठ ने 13 अगस्त को राज्य सरकार को दिशा निर्देशक आदेश जारी किए। कहा कि राज्य सरकार के 15 जुलाई 2020 के शासनादेश में नायक को गोंड की उपजाति या पर्याय बताना भारत के गजट के आलोक में अनुमन्य नहीं है। हालांकि जाति प्रमाण पत्र जारी करने के लिए सरकार आवेदन के परीक्षण के लिए स्वतंत्र है।

हाईकोर्ट के आदेश के अनुपालन में जारी हुए आदेश:-

इलाहाबाद उच्च न्यायालय आदेश के अनुपालन में प्रमुख सचिव समाज कल्याण के रविंद्र नायक ने 24 सितंबर को नया आदेश दिया है। नए शासनादेश के तहत यह व्यवस्था दी गई है कि नायक समुदाय के व्यक्ति के आवेदन का जनजाति का प्रमाण पत्र जारी करने के लिए 1356 व 1359 के फसली राजस्व अभिलेखों से परीक्षण या मिलान होगा। भूमिहीन होने की दशा में  प्रमाण पत्र जारी करने से पहले उसके कुटुंब रजिस्टर, स्कूल के स्थानांतरण प्रमाण पत्र (टीसी) का परीक्षण होगा या फिर उसके नजदीकी निर्विवादित परिवारों से मौके पर पूछताछ व पड़ताल के बाद जाति प्रमाण पत्र निर्गत होगा।


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