याचिका खारिज : अंग्रेजी में जाति प्रमाणपत्र जारी करना संविधान के दायरे में – हाईकोर्ट


 प्रयागराज:इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा है कि जाति प्रमाणपत्र अंग्रेजी में जारी करना संविधान के दायरे में है। संविधान में ऐसी कोई रोक नहीं है कि अंग्रेजी में जाति प्रमाणपत्र नहीं जारी किया जा सकता है। कोर्ट ने कहा कि हिंदी के अलावा अंग्रेजी में भी प्रमाणपत्र जारी किया जा सकता है।कोर्ट ने अंग्रेजी में जाति प्रमाणपत्र जारी करने को लेकर जारी शासनादेश 10 मई 2019 व 21 मई 2019 को सही करार देते हुए याचिका खारिज कर दी साथ ही जनहित याचिका को सस्ती लोकप्रियता के लिए दाखिल करना बताते हुए याचिकाकर्ता पर तीन हजार रुपये हर्जाना भी लगाया है। कोर्ट ने कहा कि याची इस राशि को स्टेट लीगल सर्विसेज अथॉरिटी, इलाहाबाद हाईकोर्ट में एक माह में जमा करेगा।यह आदेश कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश एमएन भंडारी व जस्टिस पीयूष अग्रवाल की खंडपीठ ने जितेंद्र कुमार की याचिका को खारिज करते हुए दिया है। 

सरकार की तरफ से अपर मुख्य स्थाई अधिवक्ता रामानंद पांडेय ने याचिका का विरोध करते हुए कहा कि संविधान में प्रेसिडेंसियल आर्डर में अनुच्छेद 341 के अंतर्गत एससी जातियों की सूची हिन्दी व अंग्रेजी दोनों भाषाओं में है।ऐसे में किसी एक भाषा हिंदी में ही जाति प्रमाणपत्र जारी हो ऐसा नहीं किया जा सकता है, जबकि देश के अन्य राज्यों में अंग्रेजी में भी जाति प्रमाणपत्र जारी किया जा रहा है। कोर्ट ने कहा कि भारत सरकार ने अंग्रेजी में  जाति प्रमाणपत्र जारी करने का फार्मेट लागू किया है, ऐसे में अंग्रेजी में प्रमाणपत्र जारी करने में कोई गलती नहीं है।याची का कहना था कि यूपी में एस सी जातियों में धंगड को एससी का प्रमाणपत्र हिंदी में जारी होता है। क्योंकि प्रेसिडेंसियल आर्डर में धंगड लिखा है। जबकि अंग्रेजी में  धनगर लिखा है। उसका कहना था कि अंग्रेजी का एससी नहीं है। वह ओबीसी है। ऐसे में अंग्रेजी में जाति प्रमाणपत्र जारी करने से गलत लोगों को सर्टिफिकेट मिलने लगेगा। कोर्ट ने कहा कि याची ऐसा कोई साक्ष्य नहीं दे सका कि अंग्रेजी में जाति प्रमाणपत्र जारी करने से गलत लोगों को लाभ मिला।


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